हाथरस कांड की पीड़ित लड़की 14 सितम्बर को अपने गांव के ही खेत में गंभीर हालत में मिली थी। बाद में उसे अलीगढ़ के अस्पताल और उसके बाद दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उसने अपने ही गांव के 4 लड़कों पर गैंग रेप का आरोप लगाया था, जिसके बाद सबसे पहले संदीप को, उसके बाद रवि को नामजद किया गया। उसके बाद 22 सितम्बर को हुए लड़की के बयान पर लव कुश और रामू के नाम मुक़दमे में बढ़ाये गए थे। स्थानीय पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर लिया था।
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में लड़की की मौत होने और उसका अंतिम संस्कार रातोरात किये जाने के बाद देशभर में प्रदर्शन शुरू हो गए थे। इस दौरान यूपी पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर पीड़ित लड़की के साथ गैंग रेप न होने का दावा किया था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा जिस पर कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार भी लगाई थी। इस मामले में योगी सरकार ने एसआईटी भी बनाई थी जिसने जांच के बाद रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।
इस मामले में योगी सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, जिसके बाद सीबीआई ने जांच संभाली और कई बार पीड़ित लड़की के परिवार से पूछताछ के अलावा अलीगढ़ जेल में बंद चारों आरोपियों से पूछताछ की है। आरोपियों का पॉलीग्राफी टेस्ट और ब्रेन मैपिंग भी कराया जा चुका है।