लखनऊ, 05 अक्टूबर (हि.स.)। हाथरस कांड में योगी सरकार के खिलाफ खतरनाक साजिश के अहम सुराग जांच एजेंसियों के हाथ लगने शुरू हो गये हैं। अब खुलासा हुआ है कि हाथरस कांड के बहाने यूपी में जातीय दंगे भड़काने के लिए रातों रात ‘दंगे की वेबसाइट’ बनाई गई। इस वेबसाइट के तार बदनाम संगठन विदेशी एमनेस्टी इंटरनेशनल से जुड़े हैं। मोदी व योगी सरकार को बदनाम करने और उप्र में अराजकता के लिए वेबसाइट को इस्लामिक देशों से भरपूर फंडिंग मिली है। इतना ही नहीं नफरत फैलाने के लिए दंगों के मास्टर माइंड ने कुछ मीडिया संस्थानों और सोशल मीडिया के महत्वपूर्ण एकाउंटों का इस्तेमाल किया, इसके लिए मोटी रकम खर्च की गई है।
सूत्रों ने बताया कि यूपी में जातीय दंगों की साजिश करा दुनिया में मोदी और योगी की छवि ख़राब करने के लिए ‘जस्टिस फॉर हाथरस’ नाम से रातों रात वेबसाइट तैयार हुई। वेबसाइट में फ़र्ज़ी आईडी से हज़ारों लोग जोड़े गए। इतना ही नहीं इस बेवसाइट पर विरोध प्रदर्शन की आड़ में देश और प्रदेश में दंगे कराने और दंगों के बाद बचने का तरीका भी बताया गया है। जांच एजेंसी से जुड़े अधिकारियों को यह भी पता चला है कि मदद के बहाने दंगों के लिए फंडिंग की जा रही थी। इस वित्तीय सहयोग के बदौलत अफ़वाहें फैलाने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया के दुरूपयोग के भी सुराग मिले हैं। जांच एजेंसियों को वेबसाइट की डिटेल्स और पुख्ता जानकारी हाथ लगी है।
सूत्र बताते हैं कि इस सबूत में अमेरिका में हुए दंगों की तर्ज पर यूपी की इस घटना को लेकर देश भर में जातीय दंगे कराने की तैयारी थी। बहुसंख्यक समाज में फूट डालने के लिए मुस्लिम देशों और इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों से पैसा आया है। जांच में यह भी पाया गया है कि सीएए हिंसा में शामिल उपद्रवियों और राष्ट्रविरोधी तत्वों ने योगी से बदला लेने के लिए दंगे की वेबसाइट बनाई थी। वेबसाइट के जरिये बताई गई ‘चेहरे पर मास्क लगाकर’ तरकीब से पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को विरोध प्रदर्शन की आड़ में निशाना बनाने की रणनीति उजागर हुई है।
जांच से जुड़े एक अधिकारी ने हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी को बताया कि इस वेबसाइट में बहुसंख्यकों में फूट डालने और प्रदेश में नफरत का बीज बोने के लिए तरह-तरह की तरकीबें बताई गई है। वेबसाइट पर बेहद आपत्तिजनक कंटेंट मिले हैं। इस घटना का केस स्टडी बनाकर नफरत के जमकर बीज बोए गए। दंगे की इस बेवसाइट ने वालंटियरों की मदद से हेट स्पीच तैयार की और भड़काऊ सियासत की स्क्रिप्ट भी लिखी गई। इतना ही नहीं मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए फेक न्यूज, फोटो शाप्ड तस्वीरों, अफवाहों, एडिटेड विजुल्स का दंगे भड़काने के लिए इस्तेमाल किया गया। योगी सरकार के मुस्तैदी और दंगाईयों के खिलाफ सख्ती से कोशिश नाकाम हुई।
नाम जाहिर न करने की शर्त पर अधिकारी ने बताया कि सीएए उपद्रव के दौरान हिंसा में शामिल पीएफआई और एसडीपीआई जैसे संगठनों ने बेवसाइट तैयार कराने में अहम भूमिका निभाई है। हाथरस घटना को लेकर वेबसाइट पर भ्रामक, भड़काऊ और तमाम आपत्तिजनक जानकारियां दी गईं। योगी सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि रात में छापेमारी और सुरक्षा एजेंसियों के सक्रिय होते ही दंगाईयों ने वेबसाइट को बंद कर दिया है लेकिन एजेंसियों के पास वेबसाइट के सारे कंटेंट मौजूद हैं।
गौरतलब है कि हाथरस में बीते दिनों एक 19 साल की युवती के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म किया गया था, बाद में इलाज के दौरान दिल्ली के एक अस्पताल में युवती की बीते मंगलवार को मौत हो गई थी। उसके बाद कई राजनीतिक पार्टियों से जुड़े पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने न्याय की गुहार के बहाने प्रदर्शन किया।