चंडीगढ़, 23 जनवरी (हि.स.)। पंजाब के सभी राजनीतिक दलों के एसवाईएल का पानी हरियाणा को न दिए जाने के संबंध में प्रस्ताव पारित किए जाने के बाद हरियाणा की राजनीति गरमा गई है। पंजाब ने गुरुवार को चंडीगढ़ में सर्वदलीय बैठक बुलाकर यह प्रस्ताव पारित किया है।
एसवाईएल के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के हरियाणा के हक में फैसला सुनाया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा और पंजाब सरकारों को निर्देश दे रखे हैं कि वह अदालत से बाहर आपसी तालमेल व केंद्र सरकार की मध्यस्थता के साथ इस मुद्दे पर फैसला करके सुप्रीम कोर्ट को अवगत करवाएं।
इस मामले को लेकर केंद्र तथा दोनों राज्यों के अधिकारियों की कई बैठकें हो चुकी हैं लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुई है। इस बीच आज पंजाब के सभी राजनीतिक दलों द्वारा लिए गए फैसले के बाद मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पंजाब के लिए गए फैसले का लाभ पंजाब को नहीं बल्कि हरियाणा को मिलेगा। सीएम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हरियाणा के हक में फैसला दे चुका है। आज की बैठक से साफ हो गया है कि पंजाब इस मसले को सुलझाना नहीं चाहता है। आपसी तालमेल की बैठकों के नाम पर जो समय बर्बाद हो रहा था वह अब बचेगा। अब हम सुप्रीम कोर्ट को पंजाब सरकार के आज के स्टैंड के बारे में अवगत करवाएंगे जिससे हरियाणा को लाभ मिलेगा।
उधर, हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला हरियाणा के पक्ष में आ चुका है। हरियाणा में पानी की उपलब्धता लगातार कम हो रही है। ऐसे में हरियाणा को उसके हक का पानी जरूर मिलना चाहिए।
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने कहा कि आज के फैसले से साफ हो गया है कि पंजाब सरकार नहीं चाहती है कि यह मामला आपसी भाईचारे के साथ सुलझे। उन्होंने कहा कि हरियाणा कोई भीख नहीं मांग रहा है। उस पानी पर हरियाणा का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट से बड़ी देश में कोई अदालत नहीं है। अब बहुत जल्द हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिलेगा।