नई दिल्ली, 23 दिसम्बर (हि.स.)। केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने बुधवार को छठे भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में विभिन्न देशों के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रियों और राजनयिकों को संबोधित करते हुए कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी सीमाओं से परे है। भारत वसुधैव कुटुम्बकम के दर्शन के साथ पूरे विश्व को एक परिवार मानता है। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न देश आपसी विश्वास और मैत्री के बंधन से बने सक्रिय संबंधों के विभिन्न पहलुओं को महत्व देते हैं। हमने विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शक्ति को 21वीं शताब्दी की ज्ञान अर्थव्यवस्था में सहयोग का महत्वपूर्ण स्तम्भ माना है।
वर्तमान कोविड महामारी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि महामारी के प्रति भारत की कार्रवाई विज्ञान की बुद्धिमत्ता और प्रमाण पर आधारित रही है। हमने प्रत्येक चरण पर कुछ सीखा है और अपने डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की सलाह मानने या वैश्विक श्रेष्ठ प्रक्रियाओं के पालन में कोई संकोच नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि आज वैक्सीन विनिर्माण और रेपिड टेस्टिंग पर फोकस दिया जा रहा है। कई वैक्सीन विकास के उन्नत चरण में हैं और भारत विश्व में वैक्सीन के विशाल विनिर्माताओं में से एक बनने वाला है। भारत कई अंतरराष्ट्रीय सहयोग और पहल में शामिल है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि भारत में कोविड संकट से नवाचार और उद्यम को बल मिला है। समूचे स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र की व्यापक मैपिंग कर ली गई है, ताकि स्टार्टअप के विस्तार के लिए प्रासंगिक प्रौद्योगिकी समाधान की पहचान की जा सके। 51 स्टार्टअप आधारित नवाचार उत्पादों को उनकी बाजार में उपलब्धता के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हमारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को ऑस्ट्रेलिया, आसियान देशों, ब्राजील, जापान, पुर्तगाल, रूस, अमरीका और उज्बेकिस्तान के अनुसंधानकर्ताओं के साथ जुड़ने में मदद कर रहा है। इसका उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के माध्यम से कोविड-19 के खिलाफ सॉल्यूशन निकालने का है।