हरेद्र सोलंकी की तिहाड़ जेल में मौत से परिजनों में कोहराम

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दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे बरनावा के पूर्व विधायक सतेंद्र सोलंकी के भाई एवं पूर्व ब्लाक प्रमुख केंद्र हरेंद्र सोलंकी की मंगलवार को दिल्ली की तिहाड जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।



बागपत, 31 जुलाई (हि.स.)। बागपत के पूर्व विधायक सतेंद्र सोलंकी के भाई हरेंद्र सोलंकी की मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। तिहाड़ जेल में हुई इस दुर्घटना के बाद परिजनों में गम का माहौल है। हरेंद्र सोलंकी दिल्ली की तिहाड़ जेल जेल नंबर दो में बंद था और हत्या के मुकदमे में उम्र कैद की सजा काट रहा था। सुबह तक हरेंद्र सोलंकी का शव उसके गांव नहीं पहुंचा था।

दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे बरनावा के पूर्व विधायक सतेंद्र सोलंकी के भाई एवं पूर्व ब्लाक प्रमुख केंद्र हरेंद्र सोलंकी की मंगलवार को दिल्ली की तिहाड जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। उन्हें ढिकोली गांव के निर्दलीय प्रत्याशी डॉ इंद्रपाल ढाका की हत्या में दिल्ली पटियाला हाउस कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी। उधर इस मामले में मृतक कैदी के बेटे ने दिल्ली के हरिनगर थाने में हत्या का शक होने के संबंध में भी तहरीर दी हैै। दिल्ली पुलिस गंभीरता से मामले की जांच कर रही है बता दें कि बागपत के गांव डिकोली के प्रधान इंद्रपाल ढाका की हत्या के मामले में अदालत ने पूर्व विधायक सतेंद्र सोलंकी के भाई हरेंद्र सोलंकी को उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
वर्ष 1996 में विधानसभा चुनाव हुए थे खेकड़ा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी इंद्रपाल सिंह ढाका भी चुनाव में उतरे थे। वह ढिकोली गांव के रहने वाले थे इस चुनाव में पराजित हो गए थे चुनाव के बाद 24 जून 1997 को उनकी मेरठ में गोलियां बरसा कर हत्या कर दी गई थी। बड़ौत क्षेत्र के नेता सतेंद्र सोलंकी और उसके भाई हरेंद्र सोलंकी को हत्या में नामजद किया गया था मुकदमा मेरठ के न्यायालय में विचाराधीन था तभी इंद्रपाल के भाई अमर पाल ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर मां की थी कि  मेरठ न्यायालय से उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है। उनका मुकदमा किसी अन्य प्रदेश के न्यायालय में चलाया जाए। उच्चतम न्यायालय ने उनकी याचिका को स्वीकार करते हुए केश को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था। वहां पर सतीश चंद अरोड़ा का फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई चली, जहां पर दोनों दोषी करार दिए गए और 7 मई 2019 को न्यायालय ने दोनों भाई सतेंद्र सोलंकी और हरेंद्र सोलंकी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

 


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