बांग्लादेश में फांसी की सजा प्रकाशक की हत्या के 8 दोषियों को
ढाका, 10 फरवरी (हि.स.)। बांग्लादेश में प्रकाशक की हत्या करने के मामले में आठ दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। दरअसल मुस्लिम बहुल राष्ट्र में धार्मिक कट्टरपंथियों और धर्मनिरपेक्षतावादियों के बीच तनाव चल रहा है।
ढाका के पब्लिशिंग हाउस के प्रकाशक फैजल एरिफिन दिपान की साल 2015 में जिहादी समूह के सदस्यों ने हत्या कर दी थी। उन्होंने नास्तिकों से संबंधित कई किताबें लिखीं। यह हत्या साल 2013 और 2016 के बीच हिंसा की लहर का हिस्सा था, जो धर्मनिरपेक्ष कार्यकर्ताओं, ब्लॉगरों और नास्तिक लेखकों को लक्षित कर किया गया था। प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के कार्यकाल के दौरान शीर्ष इस्लामी राजनीतिक दल के नेताओं को फांसी दी गई है।
अभियोजक गोलम सरवर जाकिर ने मीडिया को बताया कि ढाका के स्पेशल एंटी टेरोरिज्म ट्रिब्यूनल के जज ने सभी आठ अभियुक्तों को दोषी ठहराया। उन्होंने फैसला सुनाते हुए कहा कि ब्लॉगर्स लेखकों और प्रकाशकों की हत्या करके ये लोग जनता की आवाज को दबाना चाहते हैं। ये लोग आम जनता के बीच डर पैदा करना चाहते हैं।
इस हत्या के मास्टरमाइंड सईद जियाउल हक सहित दो अभियुक्तों को इनकी गैरमौजूदगी में सजा सुनाई गई। जियाउल हक पर कई धर्मनिरपेक्ष कार्यकर्ताओं की हत्या करने का आरोप लगा है। उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश की सरकार ने हाल ही के सालों में इस्लामी चरमपंथियों पर नकेल कसने के लिए दो बड़ी आतंकवाद-निरोधी पुलिस इकाइयां स्थापित की हैं।
देशभर में आतंकवाद विरोधी छापेमारी में 100 से अधिक इस्लाम समर्थक मारे गए हैं और सैंकड़ों को हिरासत में लिया गया है। इसके साथ-साथ करीब आधा दर्जन इस्लामिक आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
स्टार बांग्लादेशी क्रिकेटर शाकिब अल हसन कट्टरपंथियों का नवीनतम निशाना बन गए हैं और भारत में एक हिंदू समारोह में भाग लेने के लिए धमकी मिलने के बाद उन्हें एक सशस्त्र अंगरक्षक दिया गया था।