हमीरपुरःआदि मानव सभ्यता से पहले की झील पुरातात्विक सर्वेक्षण में मिली

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दस हजार साल पहले आदि मानव बुन्देलखंड के पठारी इलाके छोड़कर आये थे कछार क्षेत्र में हजारों साल पुरानी झील में विदेशी पक्षियों ने डेरा डाला, छोटे और खूबसूरत पक्षी देख टीम दंग तीन एकड़ क्षेत्रफल में फैली झील को पर्यटन के रूप में विकसित करने की अब होगी तैयारी



हमीरपुर, 10 अप्रैल (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक महीने तक कराये गये पुरातात्विक सर्वेक्षण में यहां तीन एकड़ क्षेत्रफल में फैली एक ऐसी खूबसूरत झील मिली है जहां आदि मानव के रहने के साक्ष्य पुरातत्व विभाग के हाथ लगे हैं। यह पूरा इलाका उस जमाने में कछार था, जहां जंगली जानवर और हिरन होते थे। इन्हीं का शिकार कर आदि मानव अपना जीवन गुजारते थे।
बुन्देलखंड झांसी के क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डा.एसके दुबे ने टीम के साथ यहां हमीरपुर जनपद के मुस्करा क्षेत्र के 36 गांवों में सर्वेक्षण किया तो आदि मानव सभ्यता के अवशेष और धरोहरों को देख वह दंग रह गये थे। प्राचीन और रोचक मंदिरों, अड्ढवशेषों का स्थलीय जायजा लेने के बाद तमाम साक्ष्य भी टीम ने जुटाये हैं। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी ने बताया कि मुस्करा क्षेत्र के न्यूरिया गांव में तीन एकड़ क्षेत्र में फैली झील की स्थलीय जांच करने पर ये बात स्पष्ट होती है कि ये पाषाण काल से पहले एक नदी थी।
आज ये झील दुर्गम इलाके में है, जहां विदेशी पक्षियों ने बहुतायत संख्या में डेरा डाल रखा है। ये पक्षी शाकाहारी होते है। इन्हें राजस्थान के सरोवरों के आसपास भी आज तक नहीं देखा गया है। झील की तलहटी में शैवाल व घासों की जड़ें विद्यमान है। यही पक्षियों का प्रिय भोजन भी है। झील के आसपास छोटे-छोटे हिरन होते थे, जो अब कभी कभार ही दिखायी पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि झील को पर्यटन के रूप में विकसित कराये जाने के लिए जल्द ही जिलाधिकारी और वन विभाग को पत्र भेजा जायेगा। ताकि यह झील पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन सके।
घने जंगलों व कछार क्षेत्र होने पर आदि मानव रहते थे पठारी क्षेत्र में
क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डा.एसके दुबे ने शनिवार को बताया कि बुन्देलखंड का हमीरपुर क्षेत्र मानव सभ्यता से पूर्व घने जंगलों और कछार से घिरा था। मुस्करा क्षेत्र के न्यूरिया गांव के पास जंगल में मिली झील भी कम से कम एक लाख साल पुरानी है। ये झील तीन एकड़ क्षेत्रफल में है। झील के आसपास आदि मानवों के रहने के साक्ष्य मिले हैं, जिनसे वह जंगली जानवरों और झील में रहने वाले जीवों का शिकार करते थे। न्यूरिया के आसपास का तमाम इलाका उस जमाने में कछार क्षेत्र था। इसीलिए आदि मानव महोबा के कुलपहाड़ क्षेत्र में ठिकाना बनाये थे। मौसम में आये बदलाव के बाद जब इस इलाके में पानी कम हुआ तो आदि मानवों ने इसी झील के आसपास अपना ठिकाना बना लिया था। पत्थरों के औजार, बर्तनों से मानव सभ्यता के रहने की पुष्टि होती है।
हजारों साल पुरानी नदियां भी अब नाले में तब्दील
पुरातत्व अधिकारी का कहना है कि दस हजार साल पहले हमीरपुर जिले में तमाम नदियां थी। उस समय हमेशा बारिश होती थी। पूरा इलाका पानी और जंगलों में घिरा रहता था। मौसम सामान्य होने के बाद आदि मानव ने इस इलाके में डेरा डाला था। शुरू में आदि मानव पहाड़ी इलाके और धसान नदी के पास रहते थे। उसके बाद हमीरपुर के कछार क्षेत्र में मानव सभ्यता का विकास हुआ। मानव सभ्यता से पूर्व की नदियां अब नाले में तब्दील है। सर्वेक्षण में कई प्राचीन नाले भी मिले हैं, जो आज बदहाल हो गये हैं। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी गोहांड ब्लाक के दगवां व मुसाही मौजा में पुरातात्विक सर्वेक्षण में हजारों साल पुराने पाषाण काल की कौड़िय़ां, बर्तन और औजार मिले थे। जो पुरातात्विक दृष्टि से बहुत ही अनमोल है। जमरा गांव में भी सड़क निर्माण के दौरान प्राचीन टीले की खुदाई में पाषाण काल के अवशेष पाये गये थे।

 


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