फिर से विवादों में हामिद अंसारी की पुस्तक के कई अंश विमोचन से पहले ही लीक

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नई दिल्ली, 05 फरवरी (हि.स.)। पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी आजकल फिर से चर्चा में हैं। इस बार उनकी चर्चा उनके जरिए लिखी जाने वाली एक किताब को लेकर की जा रही है। बाई मैनी ए हैप्पी एक्सीडेंट नामक अंग्रेजी पुस्तक में उन्होंने राज्यसभा के सभापति की हैसियत से अपने आखरी तीन साल के कार्यकाल के बारे में कुछ रहस्योद्घाटन किया है। इसमें उन्होंने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और खासतौर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया है। हालांकि अभी इस पुस्तक का विमोचन नहीं हुआ है लेकिन पुस्तक में लिखे गए कुछ विचारों, कुछ यादगार लम्हों और रहस्योद्घाटनों के मीडिया में लीक होने से यह किताब बाजार में आने से पहले ही विवादों में घिर गई है।
पूर्व उपराष्ट्रपति अंसारी का पहला कार्यकाल 2007 से 2012 तक कांग्रेस-नीत यूपीए हुकूमत के दौरान था, लेकिन उनके दूसरे कार्यकाल (2012 से 2017) के अंतिम तीन वर्ष तक एनडीए की हुकूमत रही है। अपने इसी कार्यकाल को लेकर कुछ अनुभवों और अहसास को एक पुस्तक में उन्होंने समेटने का प्रयास किया है जिसकी काफी चर्चा की जा रही है। अंसारी ने पुस्तक में रहस्योद्घाटन किया है कि एनडीए हुकूमत के दौरान उन्हें काम करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है क्योंकि एनडीए हुकूमत ने उनसे जो अपेक्षा की थी, वह उसे पूरा नहीं कर पा रहे थे। अंसारी ने पुस्तक में लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी चाहते थे कि लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी उनकी सरकार के जरिए लाए गए विधायकों को पास किया जाए लेकिन राज्यसभा में उनके सदस्यों की कम संख्या की वजह से विधेयक रुक जाया करते थे जिसका आरोप मेरे ऊपर डाला जाता था।
अंसारी का कहना है कि उन्होंने जब उपराष्ट्रपति का पदभार संभाला और राज्यसभा के चेयरमैन की हैसियत से जिम्मेदारी संभाली तभी यह फैसला लिया गया था कि हंगामे और शोर-शराबे के बीच किसी भी विधेयक को पास नहीं कराया जाएगा। इस फैसले की यूपीए सरकार के समय में बीजेपी ने भी प्रशंसा की थी लेकिन बाद में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने खुद उनसे मुलाकात करके इसकी शिकायत की थी। अंसारी का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री को साफ कहा था कि यह फैसला उन्होंने पदभार संभालते ही लिया था जिसकी वजह से यूपीए सरकार को भी कई बार दिक्कतें पेश आई थीं। आपकी बीजेपी ने इसका समर्थन किया था अब आपको इस फैसले पर आपत्ति है।
पुस्तक में अंसारी ने लिखा है कि प्रधानमंत्री ने दूसरी शिकायत राज्यसभा चैनल पर सरकारी खबरों को उचित स्थान नहीं दिए जाने की भी की थी जिसके जवाब में अंसारी ने कहा था कि चैनल को बनाने में उनका किरदार था लेकिन चैनल पर क्या दिखाया जाए क्या नहीं दिखाया जाए, उसको लेकर एक कमेटी फैसला करती है। उस कमेटी में आपकी पार्टी के लोग भी शामिल हैं। किताब में अल्पसंख्यकों खासतौर से मुसलमानों से सम्बंधित कई बातें लिखी गई हैं। अंसारी ने बतौर उपराष्ट्रपति भी मुसलमानों से सम्बंधित कई बयान दिए थे।पुस्तक में मुसलमानों को लेकर कोई नई बात नहीं की गई है।
राज्यसभा के चेयरमैन की हैसियत से अपना कार्यकाल पूरा करने पर आयोजित फेयरवेल पार्टी में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर उनको एतराज था। इस बारे में पुस्तक में उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में उनके राज्यसभा के चेयरमैन की हैसियत से किए गए कामों पर कम, एक राजदूत की हैसियत से किए गए कामों की काफी सराहना की थी।
हालांकि यह पुस्तक अभी बाजार में नहीं आई है लेकिन पुस्तक को लेकर हो रही चर्चा की वजह से सभी को इसका बेसब्री से इंतजार है। इस पुस्तक में कुछ ऐसे खुलासे भी किए गए हैं जो कि मोदी सरकार के कामकाज के तरीके के बारे में हैं।

 


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