नई दिल्ली, 09 सितम्बर (हि.स.)। भारत और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के बीच लद्दाख की वादियों में उड़ान भरने के बाद स्वदेशी लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) अपने आखिरी परीक्षण में भारतीय वायुसेना और सेना के लिए पूरी तरह खरे उतरे हैं। यह परीक्षण पूरा होने के बाद अब वायुसेना के बेड़े से चीता हेलीकॉप्टर रिटायर होंगे। वायुसेना की फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट गुंजन सक्सेना ने इसी चीता हेलीकॉप्टर से कारगिल वार में पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ाए थे। 40 साल बाद अब इन्हें रिटायर करके जंगी बेड़े में स्वदेशी एलयूएच को शामिल करने का रास्ता साफ हो गया है।
हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने दो हेलीकॉप्टर 19 अगस्त को लद्दाख भेजे थे। चीन सीमा पर चल रहे टकराव के चलते गर्म आसमानी माहौल में एलयूएच ने अपने अंतिम परीक्षण के दिन पूरे किये। इस दौरान हिमालय के गर्म और उच्च मौसम की स्थिति में उड़ान भरने के साथ ही उच्च ऊंचाई वाले हेलीपैड पर लैंडिंग करने की क्षमता का भी सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। परीक्षण के दौरान स्वदेशी लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) ने लेह में 3300 मीटर की ऊंचाई पर अंतरराष्ट्रीय मानक वातावरण 32 डिग्री सेल्सियस तापमान पर उड़ान भरी। लेह से उड़ान भरकर 5000 मीटर की ऊंचाई पर दौलत बेग ओल्डी के एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड पर उतरने का प्रदर्शन किया। इसके बाद एक अन्य अग्रिम हेलीपैड पर 5500 मीटर की ऊंचाई पर 27 डिग्री सेल्सियस तापमान में इसका प्रदर्शन किया गया। इस दौरान सियाचिन ग्लेशियर में अति-ऊंचाई वाले हेलीपैड पर पायलेट्स ने उतारकर पेलोड क्षमता जांची गई।एलयूएच ने परीक्षण के दौरान लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भी उड़ान भरकर अपनी उपयोगिता साबित की।
इससे पहले हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने खुद पिछले साल 24 अगस्त से दो सितम्बर के बीच दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई क्षेत्र दौलत बेग ओल्डी में इन विमानों का परीक्षण किया था। यह परीक्षण भारतीय वायुसेना और थलसेना की निगरानी में किए गये थे और उस समय भी परीक्षण में सफल रहे थे। परीक्षण के दौरान हेलीकॉप्टर ने बेंगलुरू से लेह के बीच तीन दिनों में 3000 किलोमीटर लंबी उड़ान भरी और इस दौरान यह कई नागरिक व सैन्य एयरफील्ड से गुजरा। एलयूएच ने 2018 में नागपुर और चेन्नई के गर्म मौसम में, 2019 में जम्मू-कश्मीर के ठंडे वातावरण में और पुडुचेरी में 2019 में समुद्र स्तरीय परीक्षण पूरा किया है। एलयूएच ने लद्दाख में एक साल से भी कम समय में दूसरी बार अंतिम परीक्षण में भी अपनी क्षमताओं का बखूबी प्रदर्शन किया है।
एचएएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आर माधवन ने बुधवार को बताया कि एलयूएच ने एक बार फिर खुद को भारतीय सेना और वायुसेना के लिए उपयोगी साबित किया है और अब ऑपरेशनल क्लीयरेंस मिलने का इन्तजार है। एचएएल के निदेशक (इंजीनियरिंग एंड रिसर्च) अरूप चटर्जी के मुताबिक स्वदेशी लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) ने अपने अंतिम परीक्षण में सेनाओं की जरूरत के लिहाज से सफल उपयोगी प्रदर्शन किया है। अब तक किये गए सभी परीक्षणों में सफलतापूर्वक प्रदर्शन पूरे किये गए हैं। इन परीक्षणों के दौरान एचएएल की ओर से विंग कमांडर (रिटायर्ड) उन्नी पिल्लई, विंग कमांडर (रिटायर्ड) अनिल भाम्बानी, ग्रुप कैप्टन (रिटायर्ड) पुपिंदर सिंह, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन वी पंवार, आर दुबे स्क्वाड्रन लीडर जोशी तथा भारतीय सेना की ओर से लेफ्टिनेंट कर्नल ग्रेवाल और पवन शामिल रहे।
इसी साल फरवरी में लखनऊ में आयोजित डिफेन्स एक्सपो-2020 में लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) को प्रारंभिक परिचालन मंजूरी (आईओसी) दी गई थी। एचएएल पहले चरण में 187 हेलीकॉप्टर बनाएगा जिसमें 126 हेलीकॉप्टर भारतीय सेना को और 61 हेलीकॉप्टर वायुसेना को मिलेंगे। एलयूएच को अब तक वायुसेना के कई मोर्चों में शामिल रहे चीता हेलीकॉप्टर की विदाई करके उनकी जगह जंगी बेड़े में शामिल किया जायेगा। चीता हेलीकॉप्टरों ने 40 साल तक वायुसेना में अपनी सेवायें दी हैं। वायुसेना की फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट गुंजन सक्सेना ने इसी चीता हेलीकॉप्टर से कारगिल वार में पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ाए थे। पिछले माह 12 अगस्त को नेटफ्लिक्स पर उनकी बॉयोपिक गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल रिलीज की गई है।