गुजरात : समुद्री जीवों को बचाने के लिए मांडवी समुद्र तट पर सफाई अभियान
मांडवी/अहमदाबाद, 27 जुलाई (हि. स.)। विश्व स्तर पर लुप्तप्राय प्रजाति ओलिव रिडले कछुआ के रविवार को मांडवी ध्रुवुडी के पास मृत पाए जाने के बाद अब वन विभाग की नींद खुली है। अब वन विभाग के साथ कई संगठनों ने भी हर रविवार को इस तट की सफाई का जिम्मा उठा रहे है। समुद्री जीवन को बचाने के लिए भागीरथ के काम को दो साल से सफाई अभियान किया जा रहा है।
मांडवी कच्छ का तट अन्य समुद्र तटों की तुलना में पर्यटकों से अधिक भीड़भाड़ वाला है। यहां आने वाले पर्यटक बीच के किनारे पर स्नैक्स आदि के पैकेट फेंकने से समुद्र की दुर्लभ प्रजातियों का जीवन खतरे में डाल देते हैं। अब कई संगठनाें के स्वयं सेवकों और वन विभाग ने इस तट की साफ करने का जिम्मा उठाया है।
पश्चिम कच्छ वन विभाग के डीसीएफ डॉ. तुषार पटेल ने बताया कि लोग अक्सर लोग सेल्फी के लिए कछुए या जेलिफ़िश को अपने हाथों में पकड़ लेते हैं या उनसे छेड़छाड़ भी करते हैं। पर्यटकों का प्लास्टिक और अन्य कचरा समुद्री जीवों के जीवन को खतरे में डाल सकता है। वन विभाग ने इन समुद्री वन्यजीवों को बचाने के लिए पर्यटकाें को समुद्र तट पर प्लास्टिक कचरा न फेंकने का आग्रह किया है।
मांडवी की सिक्यूर नेचर सोसायटी भी समुद्री जीवन को बचाने के लिए पिछले दो साल से झीलों और समुद्र तटों की सफाई कर रही है। नत्र वाइल्ड नेटवर्क भी मांडवी के आसपास समुद्र तट की सफाई करने का अभियान चला रहा है। इस संगठन के साथ ऋषभ शाह, पल्लवी जोशी और काजल जोशी सहित अन्य स्वयंसेवक सफाई अभियान से जुड़े हैं।
समुद्री वानिकी विशेषज्ञ महिमा अनिरुद्ध दवे ने कहा कि नदियों और समुद्रों के संगम पर अपरदन से समुद्र में नाइट्रोजन और फास्फोरस का स्तर बढ़ जाता है। समुद्र में सबसे अधिक प्लास्टिक प्रदूषण से इन महासागरों में प्रदूषण फैलाता है, जिससे सूर्य की किरणें महासागरों के तल तक नहीं पहुंच पाती हैं, जिससे समुद्री जीवन के लिए ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
उल्लखनीय है कि अत्यंत दुर्लभ प्रजाति का ओलिव रिडले कछुआ रविवार को ध्रुवडी बीच के पास मृत पाया गया था। यह प्रजाति विश्व स्तर पर प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागरों में पाई जाती है। भारत में गुजरात के पोरबंदर के बाद केवल कच्छ में पाया जाता है। एक किलोग्राम वजन का यह समुद्री जीव भोजन और अंडे देने के लिए हजारों किलोमीटर दूरी तय करता है।