कौशाम्बी की खास पहचान बना लाल अमरूद, होते हैं पोषक तत्व

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देश-दुनिया की बाज़ारों और कद्रदानों तक पहुंचाने की कवायद शुरू मोन्ट-मोटिलाइट तत्व के कारण सुर्ख लाल हो जाता है अमरूद का रंग



अजय कुमार
कौशाम्बी, 13 नवम्बर (हि.स.)। देश-दुनिया में अपनी खासियत के कारण ‘गरीबों का सेब’ अर्थात अमरूद सेहत के साथ ही किसानों के लिए प्रमुख आमदनी का जरिया भी है। कौशाम्बी की बागों में पैदा होने वाला सेब की तरह सुर्ख लाल रंग का अमरूद लोगों के बीच आकर्षण के साथ ही स्वाद के लिए भी अपनी ओर आकर्षित करता है। कौशांबी और प्रयागराज की मिट्टी में पैदा होने वाले लाल गूदा वाला सेब देश-दुनिया में प्रसिद्ध है। यही कारण है कि दूर-दूर के व्यापारी यहां आकर बाग से ही अमरूद खरीद लेते हैं। इस वर्ष अच्छे फल के साथ ही अच्छी कीमत होने के कारण किसानों में खुशी है।
अमरूद के बाग मालिक आन्स मोहम्मद बताते हैं कि उन्होंने एक एकड़ में अमरूद की बाग़ लगाई है जिसमें सुरखा अमरूद के पेड़ ज्यादा हैं। उम्मीद है कि इस साल अच्छी पैदावार होने से सीजन में 8 से 10 लाख रुपये कमा लेंगे। जिला उद्यान विभाग ने भी कुछ इन्हीं कारणों से किसानों के बढ़ते रुझान के कारण 15 हेक्टेयर में सघन और 15 हेक्टेयर में सामान्य अमरुद की खेती सरकारी खर्च पर कराई है।
ख़ास माटी और वातावरण अमरूद को देता है सुर्ख लाल रंग
सबिया अमरुद के नाम से पहचाना जाने वाला यह अमरुद कौशाम्बी के कई इलाके में एक ख़ास वातावरण के कारण पैदा होता है। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती है, इन अमरूदों का रंग और अधिक सुर्ख हो जाता है। गंगा-यमुना व अदृश्य सरस्वती नदियों की माटी में मिलने वाले ख़ास पोषक तत्व अमरूद के रंग और चमक के लिए जिम्मेदार होते हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मनोज सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र की बलुई दोमट मिट्टी में जल धारा निकासी की क्षमता अच्छी होती है, इस कारण अमरूद के पेड़ों को भरपूर पोषक तत्व मिल पाते हैं। मोन्ट-मोटिलाइट तत्व के कारण अमरूद का रंग सुर्ख लाल हो जाता है।
कहां है सबसे अधिक पैदावार
कौशाम्बी का सेबिया अमरूद खास तौर पर जिले के नेवादा, कड़ा, सिराथू, मूरतगंज और मंझनपुर ब्लाक के इलाको में सेबिया अमरुद की पैदावार अधिक है। इन ब्लाकों में भी सबसे अधिक पैदावार नेवादा ब्लाक के गांवों में होता है।
नई तकनीकी से बदलेगी अमरूद किसानों की किस्मत
जिला उद्यान विभाग की तरफ से सहयोग मिलने के कारण किसान अमरूद की खेती की तरफ रूख कर रहे हैं। उद्यान विभाग अमरुद की बागवानी नई तकनिकी से कराये जाने का प्रयास कर रहा है।  यही कारण है कि तकरीबन 700 किसान परिवार खेती छोड़ अमरुद की बागवानी करने लगे हैं। विभाग अब किसानों की पैदावार को देखते हुए हाई डेस्टिंग प्लाटिंग के जरिये अमरुद खेती करने का मसौदा तैयार कर रहा है। इस नई तकनीक के जरिये एक हेक्टेयर में 1110 पौधे अमरुद के लगाये जा सकेंगे। ड्रिप सिंचाई से पानी की भी बचत की जा सकेगी।
अमरुद एक फायदे अनेक
अमरुद में एंटी आक्सीडेंट से भरपूर विटामिन सी, हाई कोलेस्ट्रोल से लड़ने वाला फाइबर, संक्रमण से लड़ने वाला विटामिन ए और सूरज की हानिकारक किरणों से त्वचा की रक्षा करने वाले लाइकोपीन जैसे फायदेमंद तत्व होते हैं। अमरुद प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में कारगर होता है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से सामान्य मौसमी संक्रमण दूर करने में मदद मिल सकती है। जिला अस्पताल कौशाम्बी के मेडिकल अफसर डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह भी बताते हैं कि संतरों से ज्यादा विटामिन सी अमरुद में होता है, जिससे श्वेत रक्त कणिकाओं को मजबूती मिलती है।
क्या कहते हैं अफसर
कौशाम्बी की इस खास पहचान को देश-दुनिया की बाज़ारों और अमरुद के कद्रदानों तक पहुंचाने की है। इसी के तहत जिले में 1000 हेक्टेयर में अमरूद की बागवानी कराई गई है। जिला अधिकारी मनीष वर्मा  कहते हैं कि कौशाम्बी के अमरूद बाग मालिक दूसरे राज्यों के बाजार में सप्लाई करके ज्यादा आर्थिक फायदा उठा कर मालामाल हो सकते हैं।

 


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