पटना, 26 नवम्बर (हि.स.)। बिहार विधानसभा में विपक्ष के शोर-शराबे और नारेबाजी के बीच बिहार माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2019 और बिहार कराधान विवाद समाधान विधेयक 2019 पारित हो गये। कराधान विवाद समाधान विधेयक से कर वसूली के लिये एकमुश्त समाधान योजना लाने को हरी झंडी मिल गयी है।
मंगलवार को उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने विधानसभा में दोनोंं विधेयक पेश किये लेकिन इन पर न तो कोई बहस हुई और न ही विपक्ष की तरफ से कोई कटौती प्रस्ताव लाया गया। केवल आधा घंटे में दोनों विधेयक पर कटौती के प्रस्ताव के बिना एक-एक मुद्दे पर स्वीकृति लेते हुए अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने इसे पारित कर दिया। कार्यवाही के दौरान कटौती के प्रस्ताव कांग्रेस के रामदेव राय और राजद के समीर कुमार महासेठ के दिए थे, लेकिन यि कटौती प्रस्ताव सदन में नहीं उठाये गये। क्योंकि राय सदन में उपस्थित नहीं थे और महासेठ ने प्रस्ताव लाने से इंकार कर दिया। सदन में कार्यवाही के लगभग सभी विपक्षी सदस्य सदन के वेल में खड़े होकर नारे लगा रहे थे। कई सदस्य हाथों में नारे लिखी तख्तियां लहरा रहे थे। यह लोग एनआरसी को लेकर विरोध कर रहे थे और मांग कर रहे थे कि विधानसभा से इसके विरोध में प्रस्ताव पारित किया जाये।
सुशील मोदी ने कहा कि माल और सेवा कर अधिनियम 2017 के अंतर्गत पूर्व में निबंधन के लिेये 20 लाख रुपये निर्धारित थी। अब माल (गुड्स) का कारोबार करने वाले व्यावसायियों के लिये इस सीमा को बढ़ा कर 40 लाख रुपये किया गया है। निबंधन के लिए आधार या वैकल्पिक और व्यवाहारिक साधन का भी प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि रिटर्न दाखिल करने की प्रस्तावित नयी व्यवस्था, जो अप्रैल 2020 से प्रस्तावित है में कुछ श्रेणी के करदाताओं के लिए भी त्रैैमासिक विवरणी एवं मासिक आधार पर कर भुगतान करने के प्रावधान किये गए हैं। डिजिटल पेमेंट का विकल्प दिए जाने का भी प्रावधान किया गया हैं।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि एकमुश्त कर समाधान योजना के तहत बिहार इंट्री टैक्स के बकाया विवादों का निपटारा किया जा सकेगा। यह योजना के तहत सेल्स टैक्स, वैट, सेंट्रल सेल्स टैक्स, लक्ज़री टैक्स, मनोरंजन टैक्स, विज्ञापन टैक्स और बिजली ड्यूटी टैक्स के बकाया विवादों का निपटारा भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित समाधान योजना फिलहाल तीन माह की अवधि के लिए लागू होगी।
वित्त मंत्री ने कहा कि प्रस्तावित समाधान योजना में ऐसे मामले जो किसी अपीलीय या रिविज़न कोर्ट अथवा हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लंबित नहीं हैंं, उन्हें भी शामिल किया गया है। मोदी ने कहा कि किसी करदाता के रिटर्न में स्वीकृत किये गए कर का समाधान नहीं किया जायेगा अर्थात किसी करदाता के विवाद का तभी निपटारा होगा जब करदाता द्वारा उस अवधि के स्वीकृत टैक्स का पूरा भुगतान कर दिया गया हो।