जीएसपी खत्म करने के अमेरिकी सरकार के फैसले को भारत ने बताया ‘दुर्भाग्यपूर्ण’

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भारत ने अमेरिका के भारत को दिए गए सामान्य तरजीही प्रणाली(जीएसपी) से जुड़े दर्जे को वापस लेने पर पहले आधिकारिक बयान में इस घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया गया है। 



नई दिल्ली, 01 जून (हि.स.)। भारत ने अमेरिका के भारत को दिए गए सामान्य तरजीही प्रणाली(जीएसपी) से जुड़े दर्जे को वापस लेने पर पहले आधिकारिक बयान में इस घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया गया है।
सरकार का कहना है कि भारत हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों को आगे रखेगा। इस संबंध में वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने पांच जून,2019 से भारत को जीएसपी लाभ नहीं देने का फैसला किया है। यह एकतरफा और भेदभाव रहित ढंग से विकसित देशों का विकासशील देशों को दिया गया लाभ है। भारत द्विपक्षीय व्यापारिक चर्चाओं के माध्यम से आपसी सहमति तक पहुंचने के लिए कुछ प्रस्ताव अमेरिका को दे चुका है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिका ने भारत के इन प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया।
अमेरिका की तरह अन्य देश भी इस संबंध में अपने राष्ट्रीय हितों को महत्व देते हैं। हमारी इस संबंध में कई विकास संबंधी चिंताएं हैं और भारत के लोग एक बेहतर जीवन जीने की आकांक्षा रखते हैं। यही भारत की नीति की दिशा तय करता है। विज्ञप्ति के अनुसार किसी भी मामले को, खासकर आर्थिक संबंधों से जुड़े विषयों को, समय-समय पर आपसी सहमति से इस तरह के मुद्दे सुलझा लिए जाते हैं। हम इसे एक नियमित प्रक्रिया के तहत मानते हैं और अमेरिका के साथ अपने संबंधों को अधिक मजबूत होने की आशा रखते हैं। उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने भारत की सामान्य तरजीही प्रणाली के तहत दिए दर्जे को खत्म कर दिया है।
इसके तहत पांच जून से भारत को अमेरिका की ओर से निर्यात संबंधी मिलने वाले लाभ कम हो जाएंगे। माना जा रहा है कि इससे भारत का अमेरिका के साथ होने 5.7 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित होगा। इसी बीच कांग्रेस ने कहा कि सरकार अमेरिका के साथ बातचीत करने में असफल रही है। इससे देश में पहले से चल रहे रोजगार के संकट में इजाफा होगा। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि इससे भारत का कुल 16 प्रतिशत निर्यात प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि पहले से जीडीपी के घटते आंकड़ों के साथ अर्थव्यवस्था के लिए दूसरी संकट की आहट है। इससे देश में रोजगार प्रभावित होंगे।
प्रधानमंत्री को चाहिए कि वे इस मुद्दे पर लोगों का विश्वास हासिल करने के लिए स्पष्टीकरण दें।

 


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