सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 2019-20 में रहा 12.33 लाख करोड़ रुपये: सीबीडीटी
नई दिल्ली, 07 जून (हि.स.)। वित्त वर्ष 2019-20 में वास्तविक सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 4.92 फीसदी गिरकर 12.33 लाख करोढ़ रुपये रहा। इसकी मुख्य वजह कॉरपोरेट कर की दरों में कटौती, मानक कटौती और व्यक्तिगत आयकर की छूट की सीमा बढ़ाया जाना है। यह जानकारी आयकर विभाग ने रविवार को ट्वीट करके दी है।
आयकर विभाग ने कहा कि यदि व्यक्तिगत आयकर और कॉरपोरेट आयकर को पुरानी दरों से वसूला जाता तो वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह के 8 फीसदी बढ़कर 14.01 लाख करोड़ रुपये हो सकता था। दरअसल वित्त वर्ष 2018-19 में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 12,97,674 करोड़ रुपये रहा था।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने जारी एक बयान में कहा कि यह एक वास्तविकता है कि वित्त वर्ष 2019-20 में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह वित्त वर्ष 2018-19 के मुकाबले कम रहा, जिसका अनुमान पहले से था। सीबीडीटी के मुताबिक इसकी प्रमुख वजह वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान ऐतिहासिक कर सुधार को लागू करना है, जिसके चलते ज्यादा रिफंड जारी किए गए।
उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2019-20 में वास्तविक कॉरपोरेट कर संग्रह 6.78 लाख करोड़ रुपये रहा है। वहीं, व्यक्तिगत आयकर संग्रह 5.55 लाख करोड़ रुपये रहा। इस प्रकार वित्त वर्ष 2019-20 के लिए वास्तविक कर संग्रह 12,33,720 करोड़ रुपय रहा। दरअसल सरकार ने पिछले साल सितंबर में किसी तरह की कर छूट इस्तेमाल नहीं करने वाली सभी घरेलू कंपनियों के लिए कर की दर घटाकर 22 फीसदी कर दी थी। इसी तरह व्यक्तिगत आयकर से छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये और मानक कटौती 40 हजार रुपये से 50 हजार रुपये की गई है।