नई दिल्ली, 23 जुलाई (हि.स.)। आखिरकार गुरुवार को सेना में महिलाओं को युद्ध के सिवाय हर क्षेत्र में स्थायी कमीशन दिए जाने का रास्ता साफ हो गया, क्योंकि आज आधिकारिक तौर पर रक्षा मंत्रालय की ओर से इस बावत नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में केंद्र सरकार को सेना में महिलाओं को शीर्ष पद देने के लिए तीन माह का समय दिया था। अब पांच माह बाद सरकार की मंजूरी मिलने के बाद शॉर्ट सर्विस कमिशन (एसएससी) की महिला अधिकारियों का भारतीय सेना के सभी दस हिस्सों में स्थायी कमीशन हो सकेगा।
भारतीय सैन्य सेवा में महिला अधिकारियों की शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के माध्यम से भर्ती की जाती है। इसके बाद वे 14 साल तक सेना में नौकरी कर सकती हैं। इस अवधि के बाद उन्हें सेनानिवृत्त कर दिया जाता है। 20 साल तक नौकरी न कर पाने के कारण रिटायरमेंट के बाद उन्हें पेंशन भी नहीं दी जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को दिए अपने आदेश में कहा था कि सेना में महिलाओं को युद्ध के सिवाय हर क्षेत्र में स्थायी कमीशन दिया जाए। दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट ने 2010 में ही सेना में महिलाओं के कमांडिग पदों पर स्थायी कमीशन देने का आदेश जारी किया था लेकिन यह आदेश लागू नहीं किया गया। हाई कोर्ट के इस आदेश को 9 साल बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 17 फरवरी को केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जब दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई है तो फिर भी केंद्र ने हाईकोर्ट के फैसले को क्यों नहीं लागू किया। हाईकोर्ट के फैसले को लागू नहीं करने का कोई कारण या औचित्य नहीं है।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर होने का प्रयास नहीं करना चाहिए क्योंकि वो वास्तव में पुरुषों से ऊपर हैं। अपने हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि महिलाओं के युद्धबंदी होने की सूरत में उनकी बड़ी पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्तियों में लैंगिक भेदभाव को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया गया कि उनका किसी भी तरह से यह मतलब नहीं है कि पुरुष महिलाओं से कमांड नहीं ले सकती हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं। महिला सेना अधिकारियों ने देश का गौरव बढ़ाया है, इसलिए महिला अधिकारी कमांड नियुक्तियां प्राप्त कर सकती हैं। सभी महिला अधिकारियों को न केवल 14 साल बल्कि उससे आगे भी स्थायी कमीशन देना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस फैसले को तीन माह के अंदर लागू होते देखना चाहते हैं। ये सरकार का माइंडसेट बदलने का मामला है।सुप्रीम कोर्ट की फटकार के पांच महीने बाद गुरुवार को सरकार ने सेना में विभिन्न शीर्ष पदों पर महिलाओं की तैनाती के बारे में नोटिफिकेशन जारी किया है। इस आदेश के मुताबिक शॉर्ट सर्विस कमिशन (एसएससी) की महिला अधिकारियों को भारतीय सेना के सभी दस हिस्सों में स्थायी कमीशन की इजाजत दे दी गई है। यानी अब महिलाओं को आर्मी एयर डिफेंस (एएडी), सिग्नल, इंजीनियर्स, आर्मी एविएशन, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई), आर्मी सर्विस कोर, आर्मी ऑर्डनेंस कॉर्प्स, इंटेलिजेंस कॉर्प्स जज और एडवोकेट जनरल और आर्मी एजुकेशनल कॉर्प्स में भी स्थायी कमीशन मिल सकेगा। इस आदेश के बाद अब जल्द ही परमानेंट कमीशन सेलेक्शन बोर्ड की ओर से महिला अफसरों की तैनाती हो सकेगी। इसके लिए सेना मुख्यालय ने कई कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।
सेना की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारतीय सेना सभी महिला अधिकारियों को देश की सेवा करने का मौका देने के लिए पूरी तरह तैयार है। रक्षा मंत्रालय की औपचारिक मंजूरी के बाद महिला अधिकारियों को संगठन में बड़ी भूमिका निभाने का अधिकार मिल गया है। सेना मुख्यालय ने स्थायी आयोग चयन बोर्ड बनाने के लिए प्रारंभिक कार्रवाई शुरू कर दी है। सभी एसएससी महिला अधिकारियों को अपेक्षित दस्तावेज पूरा करने के लिए चयन बोर्ड जल्द से जल्द गठित किया जाएगा। भारतीय सेना राष्ट्र की सेवा करने के लिए महिला अधिकारियों सहित सभी कर्मियों को समान अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।