सरकारी वकीलों की फीस का भुगतान करे केंद्र और दिल्ली सरकार : हाई कोर्ट
नई दिल्ली, 31 अगस्त (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह दिल्ली की अदालतों में सरकार की ओर से पैरवी करने वाले वकीलों को छह माह पहले जमा किए गए बिलों का भुगतान करें। चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने सरकारी वकीलों की बकाया फीस के भुगतान की मांग पर यह बात कही।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने अधिकांश बिलों का भुगतान कर दिया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-22 के लिए बजटीय आवंटन दस करोड़ रुपये का है। उसमें से आठ करोड़ रुपये का उपयोग हो चुका है। इसके लिए बजटीय सीमा से छूट देने की मांग की गई है।
वहीं दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया कि अधिकांश विभागों ने सरकारी वकीलों के बिलों का भुगतान कर दिया है लेकिन कुछ बिलों का बकाया शेष है। दिल्ली सरकार ने वकीलों की फीस का भुगतान जल्द करने का आश्वासन दिया। इसके लिए दिल्ली सरकार एक सिंगल विंडो के जरिये काम करना चाहती है। तब कोर्ट ने कहा कि जो बिल छह महीने पहले दिए जा चुके हैं उनका भुगतान होना चाहिए।
इसके पहले हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वह छह महीने की बकाया फीस का भुगतान जल्द करे। कोर्ट ने कहा था कि यह ठीक नहीं है कि वकीलों को अपनी फीस के लिए कोर्ट आना पड़े।
वकील पीयूष गुप्ता द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि फीस का भुगतान नहीं होने से वकील आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। याचिकाकर्ता की ओर से वकील कपिल गोयल ने कहा था कि दिल्ली सरकार से इस बात पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी जाए कि सरकारी वकीलों की फीस का लंबे समय से भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने तीन सितंबर, 2015 को आदेश दिया था कि वे वकीलों की फीस का भुगतान करें लेकिन दिल्ली सरकार इस आदेश का उल्लंघन कर रही है। याचिका में दिल्ली सरकार पर इसके लिए भारी जुर्माना लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि सरकारी वकील न्याय व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रशासन को उन वकीलों के जीवन यापन की कोई चिंता नहीं है और वह उनकी फीस का भुगतान लंबे समय से नहीं कर रही है। वकीलों की आमदनी का मुख्य जरिया उनको मिलने वाली फीस ही होती है।
याचिका में कहा गया है कि 17 मार्च, 2020 से कोर्ट लगातार बंद है, जिसकी वजह से सरकारी वकीलों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी वकील अपना रोजगार खत्म होने की आशंका से अपनी फीस के भुगतान के लिए सरकार के पास नहीं जा रहे हैं। सरकारी वकीलों ने याचिकाकर्ता से संपर्क किया, जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता ने खुद संबंधित विभाग से सरकारी वकीलों की फीस का भुगतान करने की मांग की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।