लखनऊ, 03 जुलाई (हि.स.)। योगी आदित्यनाथ सरकार ने सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार को लेकर कड़ा रूख अपनाया है। सरकार ने बीते दो वर्षों में अभी तक 600 से अधिक भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर बड़ी कार्रवाई की है। इनमें 200 से ज्यादा लोगों को जबरन सेवानिवृत्ति देने के साथ 400 से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन, पदावनति जैसा कदम उठाया गया है। ऐसे लोगों को अब पदोन्नति का लाभ भी नहीं मिलेगा। उनके दूसरी जगहों पर तबादले जैसे कदम भी उठाये जा रहे हैं। इसके अलावा अभी भी सरकार के निशाने पर 100 से अधिक अधिकारी हैं, जिन पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों सचिवालय प्रशासन की बैठक में सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के भ्रष्ट रवैये को लेकर कड़ी नाराजगी भी जतायी थी। उन्होंने कड़े लहजे में कहा था कि बेईमान-भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सरकार में कोई जगह नहीं है, इन्हें तत्काल वीआरएस दिया जाना चाहिए। संदिग्ध गतिविधियों वाले अधिकारियों की सूची तैयार की जाए। इसके बाद ऐसे भ्रष्टाचारी और चिन्हित करने का काम शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री ने कहा था कि गलती कोई एक करता है और पूरी सरकार को कठघरे में खड़ा होना पड़ता है। ये बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
प्रदेश सरकार के मुताबिक विभिन्न विभागों के अधिकारी और कर्मचारी कार्रवाई के दायरे में आये हैं। इनमें प्रमुख तौर पर गृह विभाग में सबसे ज्यादा 51 लोगों को जबरन सेवानिवृत्ति दी गई है। इसके बाद राजस्व विभाग में 36, श्रम विभाग में 16, वन विभाग में 11, संस्थागत वित्त वाणिज्य कर एवं मनोरंजन कर विभाग में 16, बेसिक शिक्षा विभाग में 8, दुग्ध विकास विभाग में 7, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग में 6, नगर विकास, आबकारी विभाग तथा आवास एवं शहरी नियोजन विभाग में 05-05, कारागार प्रशासन एवं सुधार तथा ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में 04-04, खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग, व्यवसायिक शिक्षा व कौशल विकास और युवा कल्याण विभाग में 03-03, बाल एवं पुष्टाहार विभाग, प्राविधिक शिक्षा, लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल, लघु सिंचाई एवं भूगर्भ जल तथा भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग में 02-02, सैनिक कल्याण और खेलकूद विभाग, आयुष, पशुधन, समाज कल्याण विभाग व खाद रसद में 01-01 अधिकारियों व कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दी जा चुकी है।
इसके अलावा पदोन्नति पर रोकने का भी कड़ा फैसला किया गया है। इनमें प्रमुख तौर पर ऊर्जा विभाग में 169, परिवहन विभाग के 37, बेसिक शिक्षा विभाग के 26, पंचायती राज विभाग में 25, लोक निर्माण में 18, ग्राम विकास विभाग व खाद एवं रसद विभाग में 15-15, दुग्ध विकास में 14, गन्ना विभाग में 11, स्टैंप व रजिस्ट्रेशन विभाग में 7, समाज कल्याण विभाग में 5, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग, राजस्व, अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ और वित्त विभाग में 3-03, नियुक्ति एवं कार्मिक, ग्राम्य विकास, व्यवसायिक शिक्षा व कौशल विकास, प्राविधिक शिक्षा और खादी ग्रामोद्योग के 02-02 अधिकारियों-कर्मचारियों की पदोन्नति रोक दी गई है।
पुलिस महकमे में भी मची खलबली
इसके साथ ही मुख्यमंत्री के सख्त निर्देशों के बाद पुलिस महकमे में भी हड़कम्प मचा हुआ है। यहां भी अक्षम पुलिस कर्मियों को जबरन सेवानिवृत्ति देना शुरू कर दिया गया है। एडीजी स्थापना पीयूष आनन्द ने सभी इकाइयों और जिलों में बनाई गई स्क्रीनिंग कमिटी की रिपोर्ट तलब कर ली है। उन पुलिसवालों की छंटनी की जाएगी, जो 31 मार्च 2019 को 50 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक ऐसे 30 अधिकारी चिह्नित अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए चिह्नित किये गये हैं। इनमें 17 समीक्षा अधिकारी, 08 अनुभाग अधिकारी, 03 अनुसचिव और 02 उप सचिव शामिल हैं। इनके खिलाफ पूर्व में हुई जांचों, कार्रवाई आदि का ब्योरा जुटाया लिया गया है।
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है। सरकार भ्रष्टाचारियों के खिलाफ एक्शन लेने में पीछे नहीं हटेगी। इसीलिए सरकार ने 200 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दी है। श्रीकांत शर्मा के मुताबिक सौ से अधिक अधिकारियों पर अभी और गाज गिर सकती है। उनका कहना है कि योगी सरकार पहली ऐसी सरकार होगी, जिसने 600 से अधिकारियों और कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार के मामले में ऐसा सख्त कदम उठाया है। इस तरह की कार्रवाई भविष्य में भी जारी रहेगी।