नई दिल्ली, 25 मई (हि.स.)। देश में राष्ट्रव्यापी लाॅकडाउन के बावजूद सरकारी एजेंसियों ने इस बार 341.56 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीददारी की। पिछले साल यह आंकड़ा 341.31 लाख मीट्रिक टन था।
आमतौर पर गेहूं की कटाई मार्च के अंत तक शुरू हो जाती है और अप्रैल के पहले सप्ताह में सरकारी एजेंसियों द्वारा इनकी खरीद भी शुरू हो जाती है। लेकिन लाॅकडाउन शुरू हो जाने की वजह से ये गतिविधियां रुक गई थीं। इस बीच फसल तब तक पक चुकी थी और कटाई के लिए तैयार थी। ऐसे में भारत सरकार ने लॉकडाउन अवधि के दौरान कृषि और उससे संबंधित गतिविधियां आरंभ करने की छूट दे दी। महामारी के दौरान समूची गेहूं खरीद प्रक्रिया सुरक्षित तरीके से क्रियान्वित किया जाना सबसे बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती से निपटने के लिए सुनियोजित बहुस्तरीय रणनीति बनाई गई। प्रौद्योगिकी के माध्यम से लोगों को संक्रमण से बचाव के उपायों तथा परस्पर दूरी बनाए रखने के नियमों के प्रति जागरूक बनाया गया। खरीद केन्द्रों पर किसानों की भीड़ न जुटे, इसके लिए ऐसे केन्द्रों की संख्या बढ़ाई गई।
ग्राम पंचायत स्तर पर सभी तरह की सुविधा वाले नए केन्द्र भी स्थापित किए गए और खास तौर से गेहूं खरीद वाले प्रमुख राज्यों जैसे पंजाब में इनकी संख्या 1836 से 3681, हरियाणा में 599 से 1800 और मध्य प्रदेश में 3545 से 4494 हो गई। प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए किसानों को अपनी उपज लाने के लिए विशिष्ट तिथियां और स्लॉट प्रदान किए गए जिससे खरीद केन्द्रों में भीड़भाड़ से बचने में मदद मिली। इन केन्द्रों पर नियमित रूप से परस्पर दूरी बनाए रखने के नियम का कड़ाई से पालन किया गया और साफ-सफाई के काम भी नियमित रूप से जारी रखे गए। पंजाब में, प्रत्येक किसान को अपनी गेहूं की खेप लाकर रखने के लिए खरीद केन्द्रों पर पहले से ही स्थान का आवंटन कर दिया गया था।
आवंटित ऐसे स्थान पर किसी और को प्रवेश की अनुमति नहीं थी। दैनिक नीलामी के दौरान केवल उन लोगों को यहां उपस्थित होने की अनुमति थी जो सीधे तौर पर खरीद प्रक्रिया से जुड़े हुए थे।
सभी प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश हो जाने से खुले में रखे गए गेहूं के खराब हो जाने का खतरा पैदा हो गया था। किसानों के सामने समस्या यह आ गई कि अगर गेहूं थोडा भी खराब हो गया तो यह खरीद प्रक्रिया के लिए तय मानकों के अनुरूप नहीं रह जाएगा और ऐसे में इसकी बिक्री नहीं हो पाएगी। किसानों को इस समस्या से बाहर निकालने के लिए भारत सरकार और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने तुरंत कदम उठाया और उपज की गुणवत्ता मानक दोबारा तय किए, जिससे उपभोक्ताओं के लिए न्यूनतम गुणवत्ता आवश्यकताओं वाले ऐसे गेहूं की खरीद सुनिश्चित की जा सके।
भारत सरकार, एफसीआई, राज्य सरकारों और उनकी एजेंसियों द्वारा किए गए इन समन्वित प्रयासों से सभी ऐसे राज्यों में गेहूं की खरीद आसानी से की जा सकी है, जहां अतिरिक्त पैदावार हुई है। इससे किसानों की मदद के साथ ही केन्द्रीय पूल में गेहूं का अतिरिक्त भंडारण भी हो सका है।