‘नाथपंथ’ के इतिहास में ‘स्वर्णाक्षरों’ में लिख गया आनंद सिंह बिष्ट का नाम

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गोरखपुर, 20 अप्रैल (हि.स.)। गोरक्षपीठाधीश्‍वर और उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्‍ट का सोमवार को एम्‍स दिल्ली में निधन हो गया लेकिन उनका नाम नाथपंथ के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिख गया। नाथ संप्रदाय में जब-जब योगी आदित्यनाथ का नाम लिया जाएगा, तब-तब वह याद किये जायेंगे।
पिछले 26 साल से योगी आदित्‍यनाथ को गेरुआ वस्‍त्रों और धार्मिक-राजनीतिक भूमिकाओं में देखती आ रही दुनिया उनके पिता के बारे में बहुत कम जानती है, लेकिन सच यह है कि उन्होंने अपना मोह त्‍यागकर नाथपंथ को एक योग्‍य उत्‍तराधिकारी सौंपा था। वह समय याद करने योग्य है, जब वर्ष 1993 में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान अजय सिंह बिष्‍ट (संन्‍यास ग्रहण करने के बाद योगी आदित्‍यनाथ) गुरु गोरखनाथ पर शोध करने के लिए गोरखपुर आए थे। उस समय वे तत्‍कालीन गोरक्षपीठाधीश्‍वर महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए और उनसे काफी प्रभावित हुए थे।
जब अवैद्यनाथ ने रखा था संन्‍यास का प्रस्ताव
एक-दो मुलाकातों में ही गोरक्षपीठाधीश्‍वर महंत अवैद्यनाथ को अजय सिंह बिष्‍ट में अपना योग्‍य उत्‍तराधिकारी दिखने लगा। उन्‍होंने अजय सिंह बिष्ट से नाथपंथ की दीक्षा लेने का प्रस्‍ताव रखा लेकिन तुरंत निर्णय लेने के बजाए वह उत्‍तराखंड लौट गए थे। वहां पहुंचने के बाद भी उनका मन गुरु गोरखनाथ, नाथपंथ और महंत अवैद्यनाथ में ही रमा रहा।
वर्ष 1994 में ली दीक्षा, परिवार को नहीं थी जानकारी
उहापोह से उबरने के बाद वर्ष 1994 में अजय सिंह बिस्ट ने अपनी मां से बात की और कहा कि गोरखपुर जा रहा हूं और मंदिर चले आये थे। वर्ष 1994 में ही उन्‍होंने महंत अवैद्यनाथ से नाथपंथ की दीक्षा लेकर पूर्ण संन्‍यासी बन गए। गांव पंचूर में परिजनों को अजय सिंह बिस्ट के संन्‍यासी होने और योगी आदित्यनाथ नामकरण के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उनकी माता को यह विश्वास था कि अजय सिंह बिष्ट नौकरी की तलाश में वहां गए हैं। करीब 06 महीने बीतने के बाद माता का अधीर मन अजय सिंह बिष्ट को तलाशने लगा। चूंकि परिवार को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी, इसलिए मां के अधीर मन को शांत करने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।
बड़ी बहन पुष्पा से परिवार को मिली जानकारी
इसी बीच योगी आदित्‍यनाथ के बारे में परिवार को अजय सिंह बिष्ट की बड़ी बहन से जानकारी मिली। वह दिल्‍ली में रह रहीं थीं। बड़ी बहन पुष्‍पा ने बताया कि उन्होंने अजय सिंह बिष्ट के बारे में अखबारों में पढ़ा है, लेकिन वह पूरी तरह उसकी पुष्टि नहीं करती हैं। खबर के मुताबिक गोरक्षपीठाधीश्‍वर महंत अवैद्यनाथ ने अपना उत्‍तराधिकारी घोषित किया है, वहां जाकर देखना चाहिए। घोषित उत्तराधिकारी अजय सिंह बिष्ट जैसा लग रहा है।
गोरखपुर आये पिता
यह सुनने के बाद अजय सिंह बिष्ट के पिता आनंद सिंह बिष्ट बिना देर किए गोरखपुर के लिए चल दिये। वे जिस वक्‍त मंदिर पहुंचे, उस वक्‍त योगी आदित्‍यनाथ गोरखनाथ मंदिर में फर्श की सफाई कर रहे कर्मचारियों का मुआयना कर रहे थे। भाव-विह्वल पिता ने उन्‍हें पहली बार भगवा वस्‍त्रों में सिर मुड़ाए संन्‍यासी के रूप में देखा तो उनके मन में आक्रोश फूट पड़ा। उन्होंने एक गृहस्थ की भांति योगी आदित्‍यनाथ को सामाजिक ताना-बाना दिखाया और तत्काल घर वापस चलाने का आदेश दिया।
अचकचा गए थे योगी, अवैद्यनाथ ने मांगा एक बेटा
योगी आदित्‍यनाथ भी अपने पिता को इस तरह अचानक सामने देखकर कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं थे। वे अचकचा गए थे। पिता की बातों को सुनने के बाद वे उन्‍हें गोरखनाथ मंदिर कार्यालय में ले गए। गुरु महंत अवैद्यनाथ को अपने पिता के आने की जानकारी दी। महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्‍यनाथ के पिता से बात की। महंत अवैद्यनाथ ने उनके पिता आनंद सिंह बिष्ट को समझाया। कहा, ‘आपके चार बेटे हैं। एक को समाजसेवा के लिए दे दें।’ महंत अवैद्यनाथ से बातचीत के बाद आनंद सिंह बिष्ट का मन कुछ हल्‍का हुआ। मंदिर में कुछ समय व्‍यतीत करने के बाद वह पंचूर लौट गए।
परेशान हो गईं मां, गेरुआ वस्त्रों में देख फूटफूट रोईं
पंचूर लौटे आनंद सिंह बिष्ट ने उनकी माता सावित्री देवी को पूरा वृत्तांत सुनाया। योगी आदित्‍यनाथ के संन्‍यासी बनने की जानकारी से मां सावित्री देवी परेशान हो गईं। पूरा परिवार सकते में था। फारेस्‍ट रेंजर रहे आनंद सिंह बिष्‍ट के परिवार को और योगी की मां को भरोसा नहीं हुआ। इसके बाद आनंद सिंह बिष्‍ट पत्नी सावित्री देवी को लेकर दोबारा गोरखनाथ मंदिर आए। बेटे को गेरुआ वस्‍त्रों में देखकर मां फूट-फूटकर रोने लगीं। योगी के पिता ने उन्हें समझाकर शांत कराया। फिर उन्होंने आदित्यनाथ से बात करनी शुरू की।
योगी ने मां सावित्री को समझाया
हालांकि, माता को फूट-फूट कर रोते देखने वाले योगी आदित्‍यनाथ के लिए भी अपने मनोभावों पर काबू रख पाना कठिन था। बावजूद इसके उन्‍होंने अपनी मां से कहा कि, ‘मुझे संन्‍यास लेने की अनुमति दे दें। यह एक छोटे परिवार से बड़े परिवार में जाने जैसा है। अब मैं लोक कल्‍याण के लिए जीवन समर्पित करुंगा।’ इस दौरान गोरक्षपीठ के महंत अवैद्यनाथ ने भी योगी के माता-पिता को एक बार फिर समझाया। योगी और माता-पिता को किसी भी वक्त मिलने की अनुमति दी।
योगी की फिर हुई कठिन परीक्षा
योगी आदित्‍यनाथ की एक कठिन परीक्षा तब हुई जब संन्‍यास ग्रहण करने के चार वर्षों बाद नाथपंथ की परम्‍परा के अनुसार वह परिवार से भिक्षा लेने पंचूर पहुंचे। उन्‍हें इस रूप में देखकर माता-पिता, भाई-बहन सब भावुक हो गए। परिवार ने एक बार फिर उन्‍हें रोकने की कोशिश की लेकिन जब योगी ने कहा कि वह यहां रहने नहीं भिक्षा लेने आए हैं, तब माता-पिता ने दिल पर पत्‍थर रखकर संन्‍यासी बेटे को भिक्षा के रूप में चावल, फल और सिक्‍के दे दिए।
महंत के राजनीतिक उत्‍ताधिकारी भी बने योगी
योगी आदित्यनाथ को महंत अवैद्यनाथ का राजनीतिक उत्‍ताधिकारी बनने का सौभाग्य भी मिला।महंत अवैद्यनाथ भी उत्तराखंड के ही थे। उन्होंने लगातार पांच बार लोकसभा चुनाव जीता। वर्ष 1998 से 2017 तक संसद में गोरखपुर का प्रतिनिधित्‍व किया। मार्च 2017 में उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने। उससे पहले 12 सितंबर 2014 को महंत अवैद्यनाथ के समाधि लेने के बाद वह गोरक्षपीठाधीश्‍वर और अखिल भारतवर्षीय अवधूत भेष बारह पंथ योगी महासभा के प्रमुख बने। यह नाथ संप्रदाय का मूल संगठन है जिसके पूरी दुनिया में करोड़ों अनुयायी हैं।

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