‘नीरज स्मृति-कवि सम्मेलन’ में गोपालदास ‘नीरज’ को किया याद, आरके सिन्हा ने की कार्यक्रम की अध्यक्षता

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गीतऋषि पद्मभूषण गोपालदास ‘नीरज’ की द्वितीय पुण्यतिथि पर रविवार को ‘नीरज स्मृति-कवि सम्मेलन’ का ऑनलाइन आयोजन किया गया। पूर्व राज्यसभा सदस्य आरके सिन्हा की अध्यक्षता में वर्चुअल तकनीक के माध्यम से समारोह का आयोजन हुआ। कार्यक्रम रविवार शाम 7 बजे से 10 तक हुआ। कार्यक्रम में कवि डॉ. कुंवर बेचैन, डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, डॉ. विष्णु सक्सेना, डॉ. सीता सागर, मनोज कुमार मनोज, विनीत पाण्डेय, शशांक प्रभाकर ने गीतों और कविताओं के माध्यम से महाकवि नीरज को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व राज्यसभा सदस्य आरके सिन्हा ने की, जबकि मुख्य अतिथि डॉ. सत्यनारायण जटिया थे। कार्यक्रम का संचालन गजेंद्र सोलंकी ने की थी।

पद्मभूषण डॉ. गोपालदास नीरज लोकप्रिय कवि थे। 19 जुलाई, 2018 को नीरज ने 93 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वे पहले व्यक्ति थे जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो बार सम्मानित किया। उन्हें पहले पद्मश्री फिर बाद में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लेखन के लिए उन्हें तीन बार फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने उन्हें यश भारती पुरस्कार प्रदान किया था। गोपाल दास नीरज को विश्व उर्दू पुरस्कार से भी नवाजा गया था। डॉ. गोपालदास नीरज हिन्दी साहित्यकार, शिक्षक, एवं कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य वाचक एवं फिल्मों के गीत लेखक थे।
गोपालदास ‘नीरज’ का जन्म 4 जनवरी 1924 को इटावा (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। गोपालदास नीरज को हिंदी के उन कवियों में शुमार किया जाता है जिन्होंने मंच पर कविता को नई बुलंदियों तक पहुंचाया। उनकी कई कविताओं के अनुवाद गुजराती, मराठी, बंगाली, पंजाबी, रूसी आदि भाषाओं में हुए हैं। रामधारी सिंह ‘दिनकर’ उन्हें हिंदी की ‘वीणा’ मानते थे। नीरज ने एक बार किसी इंटरव्यू में कहा था कि अगर दुनिया से रुखसती के वक्त आपके गीत और कविताएं लोगों की जुबान और दिल में हो तो यही आपकी सबसे बड़ी पहचान होगी। इसकी ख्वाहिश हर फनकार को होती है।

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