गोंडा में अब रेलवे का डीजल शेड बनेगा इलेक्ट्रिक इंजनों का हब

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रेलवे बोर्ड ने देशभर में डीजल शेड को इलेक्ट्रिक शेड में परिवर्तित करने की मंजूरी दे दी – गोंडा पूर्वोत्तर रेलवे के शेड में अब इलेक्ट्रिक इंजनों की मरम्मत भी होगी



गोंडा, 02 जनवरी (हि.स.)। गोंडा जंक्शन पर 37 वर्ष पूर्व बनाए गए डीजल शेड को अब इलेक्ट्रिक लोको शेड में बदलने की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए रेलवे बोर्ड ने 9 इलेक्ट्रिक इंजनों को यहां भेजा है जिससे अब इस इलेक्ट्रिक शेड की क्षमता बढ़ाकर 67 लोको की जाएगी। केंद्र सरकार रेलवे लाइनों को इलेक्ट्रिक फाइट करने के लिए ज्यादा जोर दे रही है। ऐसे में रेलवे बोर्ड ने देशभर में डीजल शेड को इलेक्ट्रिक शेड में परिवर्तित करने की मंजूरी दे दी है।
रेल अधिकारियों के मुताबिक 1982 में गोंडा जंक्शन पर डीजल शेड का निर्माण कराया गया था। उस समय इस डीजल शेड की क्षमता 22 लोको की थी। अधिकतर रेल मार्गों का इलेक्ट्रिफिकेशन हो जाने के कारण डीजल इंजनों की भी उपयोगिता धीरे-धीरे कम हो गई। अधिकांश रूटों पर इलेक्ट्रिक इंजन चलने के कारण इलेक्ट्रिक लोको की उपयोगिता बढ़ गई है। अब यहां पर इलेक्ट्रिक इंजनों का हब बनने के कारण यहां पर तैनात कर्मचारियों को कई समूहों में बांटकर कानपुर, लखनऊ सहित अन्य जगहों से ट्रेनिंग भी दिलाई जा रही है।अभी हाल ही में रेलवे बोर्ड ने गोण्डा इलेक्ट्रिक शेड के लिए 9 इलेक्ट्रिक इंजन भेजे हैं। जल्द ही और इलेक्ट्रिक इंजन आने की उम्मीद जताई जा रही है। अब यहां से गोरखपुर, लखनऊ सहित अन्य रेल मार्गों के लिए इलेक्ट्रिक इंजन मुहैया कराये जायेंगे।
इस संबंध में रेलवे के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक मनीष कुमार ने बताया कि वर्तमान समय में रेलवे बोर्ड द्वारा इलेक्ट्रिफिकेशन पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। इंडियन रेलवे के सभी रूटों को इलेक्ट्रीफाइड करने के लिए मंजूरी दे दी गई है, ऐसे में इलेक्ट्रिक इंजनों की उपयोगिता अब बढ़ गई है। अभी तक गोंडा पूर्वोत्तर रेलवे में डीजल इंजनों का सबसे बड़ा हब था जिसे अब इलेक्ट्रिक हब में परिवर्तित किया जा रहा है। भविष्य में यहां इलेक्ट्रिक इंजनों की मरम्मत भी होगी।

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