अंडमान-निकोबार के द्वीप तटों तक युद्ध नायकों के बलिदान का संदेश पहुंचाएगी ”स्वर्णिम विजय मशाल”

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देश की इकलौती त्रि-स्तरीय कमांड में 03 अगस्त को पोर्ट ब्लेयर पहुंचेगी

 यह अनंत लौ चेन्नई में एएनसी के कमांडिंग कर्नल ज्ञान पांडे को सौंपी गई



नई दिल्ली, 01 अगस्त (हि.स.)। पाकिस्तान से ”71 के युद्ध में जीत के 50 साल पूरे होने पर भारत स्वर्णिम विजय वर्ष मना रहा है। भारत की जीत मेंं युद्ध नायकों के बलिदान का संदेश देश द्वीप तटों तक फैलाने के लिए ”स्वर्णिम विजय मशाल” 03 अगस्त को देश की इकलौती त्रि-स्तरीय अंडमान और निकोबार कमांड (एएनसी) में पोर्ट ब्लेयर पहुंचेगी, जहां से द्वीप समूह के विभिन्न शहरों में ले जाया जाएगा। शनिवार को यह अनंत लौ चेन्नई में एएनसी के कमांडिंग कर्नल ज्ञान पांडे को सौंप दी गई।

पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में जीत की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में स्वर्णिम विजय मशाल ने अब तक मैदानी इलाकों में 3,000 किमी. और भारतीय नौसेना के जहाज सुमेधा से समुद्र में 700 समुद्री मील यानी 1300 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर ली है। पोर्ट ब्लेयर पहुंचने पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल एडमिरल (सेवानिवृत्त) डीके जोशी मशाल हासिल करेंगे। इसके बाद वह मशाल को एएनसी के तत्वावधान में स्मारक गतिविधियों के संचालन के लिए कमांडर-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अजय सिंह को सौंपेंगे।

विक्ट्री फ्लेम को पोर्ट ब्लेयर, मायाबंदर, बाराटांग, डिगलीपुर, हटबे, कार निकोबार और कैंपबेल बे शहरों में ले जाया जाएगा, जहां स्थानीय रक्षा प्रतिष्ठान अगवानी करेंगे। इस दौरान विभिन्न स्टेशनों पर युद्ध के दिग्गजों, पूर्व सैनिकों, वीर नारियों के साथ बातचीत, मनोरंजन कार्यक्रम, साइकिल अभियान जैसे विभिन्न कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है। अनंत लौ को लैंडफॉल द्वीप समूह में भी ले जाया जाएगा। देश के सबसे दक्षिणी बिंदु पर यहां बैरेन आइलैंड, भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी और इंदिरा पॉइंट है।

इस यात्रा का उद्देश्य भारत की जीत और हमारे युद्ध नायकों के बलिदान का संदेश देश के सुदूर इलाकों और तटों तक फैलाना है। दिसम्बर, 1971 में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तानी सेना पर जीत हासिल की थी और एक नया राष्ट्र ”बांग्लादेश” बनाया गया था। इस जीत के परिणामस्वरूप द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा सैन्य आत्मसमर्पण हुआ, जिसमें पाकिस्तानी सेना के लगभग 93 हजार सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था।

इसी जीत के 50 साल पूरे होने पर 16 दिसम्बर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विजय मशाल प्रज्ज्वलित करने के साथ ”स्वर्णिम विजय वर्ष” समारोह की शुरुआत की थी। युद्ध के सैनिकों की बहादुरी को दर्शाने वाले दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की शाश्वत लौ से यह विजय मशाल जलाई गई थी जो पूरे भारत में यात्रा कर रही है। इस यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में स्मारक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।


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