नई दिल्ली, 23 जून (हि.स.)। अगर नरेन्द्र मोदी सरकार भ्रष्टाचार के प्रति नेताओं, अफसरों में वाकई भय पैदा करना चाहती है तो उसे अगले 6 माह में कम से कम 5000 नौकरशाहों को जबरिया नौकरी से निकालना पड़ेगा। उनके भ्रष्टाचार तथा आय से अधिक सम्पति के मामलों की दो से तीन माह में जांच करवाकर उनकी अवैध सम्पतियों की नीलामी की जानी चाहिए या उनमें सरकारी स्कूल, अस्पताल आदि खोल दिया जाना चाहिए। यह सब बिना भेदभाव के होना चाहिए और सत्ता के हुक्मरानों के प्रिय बनने वाले नौकरशाहों को भी न छोड़ा जाये, तब इसका असर होगा। केवल प्रतीकात्मक तौर पर कुछ को नौकरी से मुक्त कर देने से कुछ नहीं होने वाला है क्योंकि जिन नौकरशाहों को नौकरी से मुक्त किया जा रहा है उनमें ज्यादातर ने अवैध कमाई करके अपनी कई पीढ़ियों के लिए इंतजाम कर लिया है।
इस तरह की राय कई पूर्व नौकरशाहों और भाजपा सांसद लाल सिंह बड़ोदिया से बातचीत करने के बाद उभरी है। भाजपा सांसद बड़ोदिया का कहना है कि पहले तो कुछ भी नहीं होता था लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने दूसरे टर्म में ही सही, शुरुआत तो की है। उनकी सरकार ने एक माह में अखिल भारतीय सेवा के 27 ऐसे अफसरों को जबरिया रिटायर किया है, जिन पर भ्रष्टाचार आदि के गंभीर आरोप थे। इनमें से पहले आयकर सेवा के 12 अफसर सेवानिवृत्त कराये गये। उसके बाद सीमा और उत्पाद शुल्क के 15 अफसरों को सेवानिवृत्त किया गया। इसके बाद जीएसटी, एक्साइज व अन्य विभाग के लगभग 35 अफसरों को भी जबरिया सेवानिवृत्त किये जाने की तैयारी की चर्चा है।
सांसद लाल सिंह का कहना है कि यदि ऐसे भ्रष्टाचारी अफसरों को सजा देने के तौर पर उनकी अवैध कमाई वाली संपत्ति भी जब्त की जाती, तब जनता में इसका और भी अच्छा संदेश जाता।सूत्रों के अनुसार हर सरकार में खुद को सर्वशक्तिशाली समझने वाले लगभग 150 आईएएस व आईपीएस अफसरों को भी सूची तैयार की जा रही है जिन पर भ्रष्टाचार आदि के आरोप हैं। उन्हें भी जबरिया सेवानिवृत्त करने की तैयारी है। इनमें से ज्यादातर विभिन्न विभागों में संयुक्त सचिव व निदेशक पद पर हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री के अधीनस्थ कार्मिक मंत्रालय ने सभी मंत्रालयों और विभागों को सख्त निर्देश भेजा है कि वे अपने यहां काम करने वाले और काम नहीं करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों की रिपोर्ट बनाएं। इनमें किन पर क्या-क्या आरोप हैं इसका भी बिना भेदभाव के प्रमाण सहित उल्लेख किया जाए, ताकि भ्रष्ट व नकारा अफसरों, कर्मचारियों को जबरिया सेवानिवृत्त किया जा सके।
इस बारे में उप्र. के चर्चित अधिकारी रहे बाबा हरदेव का कहना है कि यदि ईमानदारी से भ्रष्ट अफसरों के विरूद्ध कार्रवाई होगी, तभी अफसरशाही में गहरे पैठ बना चुका भ्रष्टाचार कुछ कम होगा। पूर्व सांसद हरिकेश बहादुर का कहना है कि इसी तरह की कार्रवाई शिक्षा, चिकित्सा, रजिस्ट्री विभाग, पुलिस विभाग में भी की जानी चाहिए। विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रोफेसर, विभागों के निदेशक, नियुक्ति से लेकर बड़े-बड़े प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार कर रहे हैं। इसी तरह से अस्पतालों, मेडिकल कालेजों में भी हो रहा है। बेईमान अफसरों को बाइज्जत सेवानिवृत्त करने से कुछ नहीं होगा क्योंकि ऐसे अफसरों ने इतनी कमाई कर ली है कि आराम से उनकी कई पीढ़ियां देश या विदेश में रह लेंगी। इसलिए ऐसे भ्रष्टाचारी अफसरों, नेताओं सभी के विरूद्ध ऐसी कठोर कार्रवाई होनी चाहिए कि भविष्य में लोग ऐसे कार्य करने से डरें, तभी भ्रष्टाचार कम हो सकेगा।