भगवान परशुराम ने स्थापित किया था ‘शिवलिंग’ पुरा महादेव मंदिर में
मेरठ, 11 मार्च (हि.स.)। महाशिवरात्रि पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शिव मंदिरों में लाखों श्रद्धालु भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करते हैं। इन शिव मंदिरों में से कई शिवालयों की ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्ता है। बागपत जनपद के पुरा महादेव मंदिर से लेकर हस्तिनापुर में पांडवों द्वारा स्थापित शिवलिंग लोगों के आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं।
भगवान परशुराम ने की थी शिवलिंग की स्थापना
बागपत जनपद में बालैनी क्षेत्र में पुरा महादेव मंदिर हिंडन अर्थात हरनंदी नदी के किनारे स्थित है। यहां पर भगवान परशुराम के पिता जगदग्नि ऋषि का आश्रम था। यहां पर शिवलिंग की स्थापना भगवान परशुराम ने की थी। उन्होंने जल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया था। इस मंदिर का जीर्णोद्धार लंढौरा रियासत की महारानी ने कराया था। महाशिव रात्रि और सावन मास की शिवरात्रि पर लाखों कांवड़िएं यहां आकर शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाते हैं।
पांडवों ने स्थापित किया था हस्तिनापुर में शिवलिंग
हस्तिनापुर में प्राचीन पांडवेश्वर महादेव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। बताया जाता है कि महादेव मंदिर में पांडवों द्वारा स्थापित शिवलिंग आज भी मौजूद है। इस मंदिर में पांचों पांडवों की मूर्ति भी स्थापित है। मराठा काल में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया। यहां पर दर्शन करने के लिए लोगों का तांता लगा रहता है।
औघड़नाथ मंदिर से क्रांतिकारियों का गहरा नाता
मेरठ कैंट स्थित औघड़नाथ मंदिर की सिद्धपीठ होने के साथ-साथ अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले क्रांतिाकरियों की शरणस्थली के रूप में भी है। इसे काली पल्टन मंदिर भी कहा जाता है। महाशिवरात्रि और शिवरात्रि पर हरिद्वार से लाखों कांवड़ियां गंगाजल लेकर आते हैं और भगवान आशुतोष को जल चढ़ाते हैं।
बिल्वेश्वरनाथ शिव मंदिर
सदर बाजार स्थित बिल्वेश्वरनाथ शिव मंदिर अति प्राचीन है। बताया जाता है कि इस मंदिर में दशानन रावण की पत्नी मंदोदरी नित्य पूजा करने के लिए आती थी। बिल्व पत्रों की भरमार होने के कारण इस मंदिर को बिल्वेश्वर नाथ मंदिर कहा जाता है।
दयालेश्वर मंदिर की बहुत महत्ता
मोहनपुरी स्थित दयालेश्वर महादेव मंदिर की बहुत महत्ता है। इस मंदिर में पारे का शिवलिंग श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस मंदिर में जल चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।