नौसेना ने मनाई गोवा मुक्ति की 60वीं वर्षगांठ, शहीद नाविकों को दी श्रद्धांजलि

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नौसेना बेस आईएनएस गोमांतक पर हुआ पुष्पांजलि समारोह बहादुर नाविकों के सम्मान में आयोजित की गई सेरेमोनियल परेड  



नई दिल्ली, 19 दिसम्बर (हि.स.)। लिबरेशन ऑफ गोवा की 60वीं वर्षगांठ पर शनिवार को नौसेना बेस आईएनएस गोमांतक में एक पुष्पांजलि समारोह आयोजित किया गया। ऑपरेशन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले बहादुर नाविकों के सम्मान में एक सेरेमोनियल परेड हुई। गोवा नेवल एरिया के फ्लैग ऑफिसर ने माल्यार्पण किया और सभी उपस्थित लोगों ने दो मिनट का मौन रखा।
नौसेना प्रवक्ता ने बताया कि गोवा नेवल एरिया ने गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के सहयोग से 60 किलोमीटर की साइकिल यात्रा का आयोजन किया। यह साइकिल की सवारी मार्गों से शुरू हुई और पोंडा, पंजिम होते हुए वास्को में समाप्त हुई। इस आयोजन में 100 से अधिक लोगों ने भाग लिया, जिसमें साइकिल चलाने के शौकीन नौसेना, तटरक्षक बल के पूर्व सैनिक और स्थानीय नागरिक शामिल हुए। ऑपरेशन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले बहादुर नाविकों के सम्मान में एक सेरेमोनियल परेड हुई। गोवा नेवल एरिया के फ्लैग ऑफिसर ने शहीदों के स्मारक पर माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्धांजलि दी और सभी उपस्थित लोगों ने दो मिनट का मौन रखा।
क्या था गोवा मुक्ति संग्राम
पुर्तगाल ने गोवा पर अपना कब्ज़ा मजबूत करने के लिए यहां नौसेना के अड्डे बनाए थे। गोवा के विकास के लिए पुर्तग़ाली शासकों ने प्रचुर धन खर्च किया। गोवा के सामरिक महत्व को देखते हुए इसे एशिया में पुर्तग़ाल शसित क्षेत्रों की राजधानी बना दिया गया था। अंग्रेज़ों के भारत आगमन तक गोवा एक समृद्ध राज्य बन चुका था तथा पुर्तग़ालियों ने पूरी तरह गोवा को अपने साम्राज्य का एक हिस्सा बना लिया था। पुर्तग़ाल में एक कहावत आज भी है कि जिसने गोवा देख लिया, उसे लिस्बन देखने की ज़रूरत नहीं है। सन 1900 तक गोवा अपने विकास के चरम पर था। उसके बाद के वर्षों में यहां हैजा, प्लेग जैसी महामारियां शुरू हुईं, जिसने लगभग पूरे गोवा को बर्बाद कर दिया। 1809-1815 के बीच नेपोलियन ने पुर्तगाल पर कब्जा कर लिया और एंग्लो पुर्तगाली गठबंधन के बाद गोवा स्वतः ही अंग्रेजी अधिकार क्षेत्र में आ गया। 1815 से 1947 तक गोवा में अंग्रेजों का शासन रहा और पूरे हिन्दुस्तान की तरह अंग्रेजों ने वहां के भी संसाधनों का भी जमकर शोषण किया। 
भारत को यूं तो 1947 में ही आज़ादी मिल गई थी लेकिन इसके 14 साल बाद भी गोवा पर पुर्तग़ाली अपना शासन जमाये बैठे थे। भारतीय सशस्त्र सेनाओं ने 19 दिसम्बर, 1961 को ‘ऑपरेशन विजय अभियान’ शुरू करके गोवा, दमन और दीव को पुर्तग़ालियों के शासन से मुक्त कराया था। इसके बाद गोवा को पुर्तगाल के आधिपत्य से मुक्त कराकर भारत में मिला लिया गया। करीब 36 घंटे से अधिक समय तक चले इस ‘ऑपरेशन विजय’ में वायुसेना, जलसेना एवं थलसेना ने भाग लिया था। गोवा मुक्ति के लिए हुए युद्ध में 30 पुर्तग़ाली मारे गए और 22 भारतीय वीरगति को प्राप्त हुए। भारत ने चार हजार 668 पुर्तग़ालियों को बंदी भी बनाया। इसीलिए गोवा मुक्ति दिवस प्रति वर्ष 19 दिसम्बर को मनाया जाता है।

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