जिनेवा, 10 अगस्त (हि.स.)। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अगले 20 साल में ग्लोबल टेम्परेचर 1.5 डिग्री तक बढ़ जायेगा। एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम नहीं किया गया तो वर्ष 2100 तक धरती का तापमान दो डिग्री तक बढ़ सकता है।
जिनेवा में आयोजित एक वर्चुअल ग्लोबल मीडिया कॉन्फ्रेंस में जारी नवीनतम इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की रिपोर्ट चिंता बढ़ाने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक 60 देशों के 200 से ज्यादा लेखकों ने पांच स्थितियों को देखते हुए निष्कर्ष निकाला है कि अगले 20 साल में ग्लोबल टेम्परेचर 1.5 डिग्री तक बढ़ जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ते तापमान से दुनिया भर में मौसम से जुड़ी भयंकर आपदाएं आएंगी। आईपीसीसी की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट (एआर6) क्लाइमेट चेंज 2021 : द फिजिकल साइंस बेसिस जारी हुई है। यह रिपोर्ट की पहली किश्त है, जिसे 2022 में पूरा किया जाएगा।
रिपोर्ट कहती है कि किसी भी सूरत में दुनिया 2030 के दशक में 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान के आंकड़े को पार कर लेगी, जो पुराने पूवार्नुमानों से काफी पहले है। उन परिदृश्यों में से तीन परिदृश्यों में पूर्व औद्योगिक समय के औसत तापमान से दो डिग्री सेल्सियस से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की जाएगी। वैज्ञानिकों का यह कहना है कि जलवायु तो हमेशा बदली है, लेकिन हाल के दशकों की तरह जो गर्माहट बढ़ी है, वह पहले नहीं देखी गई है। उन्होंने आगाह किया कि दुनिया भर में लगभग हर जगह गर्म हो रही है। चाहे वह ऑस्ट्रेलिया या एशिया हो, या फिर यूरोप या उत्तरी अमेरिका, सभी क्षेत्र तेजी से गर्म हो रहे हैं। इसके अलावा कहा गया है कि आइसलैंड ने पिछले दो दशकों में 750 वर्ग किलोमीटर ग्लेशियर खो दिए हैं।
शहरों के लिए, जलवायु परिवर्तन के कुछ पहलुओं को बढ़ा हुआ भी पाया जा सकता है, जिसमें गर्मी, भारी वर्षा की घटनाओं से बाढ़ और तटीय शहरों में समुद्र के स्तर में वृद्धि शामिल है।