नालंदा, 19 दिसम्बर (हि.स.)। बिहार में नालंदा जिले के राजगीर में पहाड़ियों के बीच नेचर सफारी में निर्मित देश के दूसरे ग्लास फ्लोर ब्रिज का शनिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुआयना किया। मुख्यमंत्री ने स्वयं इस ग्लास ब्रिज पर चढ़कर उसकी गुणवत्ता का निरीक्षण भी किया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मौके पर मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि यह शीशे का पुल आगामी मार्च महीने तक पर्यटकों और आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। इस स्थल पर पुलिस बल के साथ-साथ ब्रिज का निर्माण करने वाले टेक्नीशियन की तैनाती की जाएगी। सीएम ने कहा कि नेचर सफारी का बुजुर्गों के साथ युवा आनंद लें। पर्यावरण के दृष्टिकोण से इससे जागृति होगी। आवागमन के लिए भी बेहतर व्यवस्था की जाएगी। सब कुछ ठीक रहा तो वर्ष 2021 के मार्च तक नालंदा जिले के राजगीर में बन रहे नेचर सफारी में चल रहे तमाम निर्माण कार्य पूरे कर लिए जाएंगे और इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जू सफारी का कार्य भी अंतिम चरण में है। देश भर के जैविक उद्यानों से शेर, बाघ, भालू सरीखे वन्य जीव लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके बाद इसे भी पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम बिहार में स्थित सभी पर्यटक स्थल को पूरी तरह से विकसित करने के लिए कटिबद्ध हैं। इसके साथ ही सभी को गंगा जल उपलब्ध कराने के लिए तैयारी की जा रही है। ताकि यहां के भू-जलस्तर को संरक्षित किया जा सके।
नीतीश कुमार ने कहा कि नेचर सफारी उसी राजगीर-जेठियन मार्ग आपसास बनाया जा रहा है, जिस मार्ग से ज्ञान प्राप्ति के पहले और बाद में भगवान बुद्ध बोधगया से राजगीर आए थे। मुख्यमंत्री ने नेचर सफारी के प्रमुख आकर्षण स्काई वॉक ग्लास फ्लोर ब्रिज पर खुद चहलकदमी की और वैभारगिरी की दो चोटियों के बीच के विहंगम दृश्य को देर तक निहारते रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजगीर मगध साम्राज्य की राजधानी रही है। हम उसके गौरव को वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि युवा पीढ़ी यहां आए, नैसर्गिक वातावरण में आनंदित हो, प्रकृति से जुड़ाव बढ़ाए और अतीत के बारे में ज्ञान अर्जित कर सकें। उन्होंने कहा कि राजगीर में बन रही जू सफारी व नेचर सफारी पर्यटन के क्षेत्र में नया आयाम जोड़ेगी।
ग्लास फ्लोर ब्रिज की खासियत
राजगीर में बने ग्लास फ्लोर ब्रिज की खासियत यह है कि यहां से आप राजगीर की नेचर सफारी का दृश्य पूरी तरह से देख सकते हैं। आधिकारिक जानकारी के अनुसार इसके निर्माण पर 1.47 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इस ग्लास फ्लोर ब्रिज का निर्माण चीन के ग्लास फ्लोर ब्रिज की तरह जरूर हुआ है पर निर्माण करने वाली एजेंसी महाराष्ट्र की है। एजेंसी ने ग्लास की सुरक्षा जांच के बाद यह कहा है कि एक बार में पंद्रह लोग इस ब्रिज पर चढ़ सकते हैं पर एहतियात के तौर पर यह व्यवस्था की जा रही है कि दस लोग ही एक बार में इस पर चढ़ें। 85 फीट लंबा व 5 फीट चौड़ा यह ब्रिज 200 फीट की ऊंचाई पर बन रहा है। यह विश्व का तीसरा, देश का दूसरा और बिहार का पहला स्काई वॉक ग्लास फ्लोर ब्रिज है। राजगीर में नालंदा विवि, इंटरनेशनल स्टेडियम, स्पोर्टस एकेडमी सरीखी कई बड़ी परियोजनाएं चल रही हैं। पिछले दिनों सरकार ने यहां खेल विवि की स्थापना का भी फैसला किया है। पूर्व में सिक्किम के पेलिंग में एक स्काई ब्रिज जरूर बना है पर वह पूरी तरह से स्काई ब्रिज नहीं है। बीच-बीच में ग्लास की जगह कुछ और भी है। देश का तीसरा ग्लास फ्लोर ब्रिज उत्तराखंड के ऋषिकेश में बनाया जाना है। लक्ष्मण झूला के समानांतर इसका निर्माण होना है।