जवाबी चिट्ठी में राज्यपाल ने ममता को याद दिलाया संविधान, कहा- आप फेल रही हैं

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कोलकाता, 24 अप्रैल (हि.स.)। राज्य में तमाम अव्यवस्थाओं को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ की चिट्ठियों के जवाब में ममता द्वारा उन्हें निर्वाचित और मनोनीत का अंतर याद दिलाए जाने के बाद अब राज्यपाल ने भी जवाबी चिट्ठी लिखी है। गुरुवार देर रात उन्होंने तीन पन्नों की एक चिट्ठी मुख्यमंत्री के नाम लिखकर भेजी थी, जिसमें 22 बिंदुओं पर उनका ध्यानाकर्षण किया था। इसमें मूलरूप से राज्यपाल ने ममता को संविधान की याद दिलाई और कहा कि वह हर एक मौके पर राज्य के लोगों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने अथवा संविधान का पालन करने में विफल रही हैं।
अपनी चिट्ठी में राज्यपाल ने लिखा है कि पश्चिम बंगाल में हाल ही में महामारी की घड़ी में खराब राशन वितरण और बदहाल व्यवस्था को लेकर जमकर हिंसा हुई। लोगों के मौलिक अधिकारों को खत्म किया गया लेकिन राज्य के संवैधानिक प्रमुख के तौर पर मैं अगर आपको इस बारे में लिखता हूं तो आप लोगों के बारे में सोचने के बजाय व्यक्तिगत ईगो के बारे में सोचती हैं। आपको अपने इस बर्ताव के बारे में विचार करना चाहिए।
संविधान की शपथ याद दिलाते हुए राज्यपाल ने लिखा है कि आपने इस बात की शपथ ली थी कि राज्य के लोगों के हित में बिना डर, भय और पक्षपात के काम करेंगी। लेकिन कोविड-19 के संकट में भी किस तरह से राज्य भर में सामाजिक, राजनीतिक और अन्य जरिए से पक्षपात हो रहा है यह आप भली-भांति जानती हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि आप संवैधानिक तौर पर ली गई अपनी शपथ को निभाने में विफल रही हैं। जबकि मैंने 30 जुलाई 2019 को राज्यपाल के तौर पर राज्य के लोगों के हित में अपने सर्वोच्च क्षमता तक सेवा करने की शपथ ली थी और उसी को निभा रहा हूं। राज्य के संवैधानिक प्रधान के तौर पर लोगों के हित में आपको चिट्ठियां लिखना बिल्कुल अपने कर्तव्यों का निर्वहन है और उसे व्यक्तिगत हित से जोड़ लेना आपकी छोटी समझ।
राज्यपाल ने अपनी चिट्ठी में स्पष्ट कर दिया है कि वह राज्य के लोगों के हित में और मुखर तरीके से आवाज उठाते रहेंगे और सरकार की अव्यवस्थाओं को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।
उल्लेखनीय है कि राज्य में राशन वितरण से लेकर कोरोना हालात का अवलोकन करने पहुंची केंद्रीय टीम के साथ असहयोग करने जैसे मुद्दों पर राज्यपाल ने लगातार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को संविधान के मुताबिक काम करने की नसीहत दी थी। इसके बाद गुरुवार को मुख्यमंत्री ने एक चुभती चिट्ठी राज्यपाल को लिखी है, जिसमें इस बात पर जोर डाला है कि राज्यपाल को याद रखना चाहिए कि वह मनोनीत हैं, जबकि मुख्यमंत्री चुनी हुई प्रशासनिक प्रमुख हैं।

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