भ्रामक प्रचार कर देश को बरगलाने के बदले आत्मचिंतन करे विपक्ष : गिरिराज सिंह

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बेगूसराय, 30 सितम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पारित कृषि विधेयक किसानों की त्रासदी को रोकने की पहल है। पारित किया विधेयक सिसकियों को रोक किसानों के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव को बिखरने का एक सार्थक प्रयास है। यह बात बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बुधवार को कही है।

उन्होंने कहा कि किसानों की सिसकियों पर जब शासन की नजर जाए और संवेदनाओं के भाव उमड़ पड़े तो लगता है कि आंसुओं की वेदना और वेदना से उत्पन्न होने वाली त्रासदी को रोकने की पहल हो रही है। सम्पूर्ण राष्ट्र के बढ़ते ऐश्वर्य की नींव किसानों पर टिकी है और कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने इस नींव के साथ विश्वासघात किया है। उनका हक, उनका सम्मान एवं उनके आर्थिक विकास का सौदा बिचौलियों से किया है। कृषक भाईयों के आय को दोगुनी करने के जिस उद्देश्य पर वर्तमान की सरकार कार्यरत है, उसके परिणाम सुखदायी होंगे। एक भारत-श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना भी किसानों के सर्वांगीण विकास से सम्भव होगा।

कृषि विधेयक से किसान एक भारत-एक बाजार के तर्ज पर अपने उत्पादों को अपनी सुविधानुसार कहीं भी बेच सकते हैं, जिससे उन्हें उनका पूरा मुनाफा प्राप्त होगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफा कर सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि किसानों को उनकी परिश्रम का पूरा भुगतान किया जाएगा। बड़ी कंपनियों के साथ जुडक़र किसान आधुनिकीकरण को भी अपनाएंगे जिससे न केवल उत्पाद में बढ़ोतरी होगी, बल्कि कृषि कार्यों में भी सहजता आएगी।

गिरिराज सिंह ने कहा की केंद्र सरकार द्वारा किसानों की आर्थिक स्थिति को खुशहाल करने के लिए बीज और खाद के लिए आठ हजार की सहायता राशि उनके खाते में भेजी गयी जो छोटे किसानों के लिए बहुत मददगार साबित हो रही है। एमएसपी में वृद्धि की गई, कृषि यंत्रों पर सब्सिडी प्रदान कर खेती को आसान करने का काम भी सरकार पूरी तन्यमता से कर रही है। किसानों की स्थिति में सकारात्मक बदलाव के जरिए उनका उत्थान ही राष्ट्र के उत्थान की दिशा-दशा तय करता है। लेकिन विपक्ष की स्तरहीनता इन बदलावों को स्वीकार करने की बजाय भ्रामक प्रचारों से देश को बरगलाने की साजिश कर रहा है। किसान आंदोलन के नाम पर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सडक़ों पर हंगामा खड़ा कर खुद को किसानों का हितैषी साबित करने में लगी पार्टी के नेताओं को आत्मचिंतन कर अपनी इस घिनौने कृत्य को बंद करना चाहिए। अगर किसान की पीड़ा, तकलीफों के प्रति सचमुच उनकी संवेदनाएं हैं तो कृषि विधेयक को जन-जन तक सुगमता से पहुंचाने की मुहिम से जुडऩा चाहिए। विपक्ष का कार्य केवल हताशा एवं कुंठा के भाव से ग्रसित होकर सरकार के हर फैसले का विरोध करना नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर लोकतंत्र की मजबूत बुनियाद को और सुदृढ़ करना भी है।

 


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