राष्ट्रवाद, विकास और सामाजिक समरसता में बाधक है जनसंख्या विस्फोट: गिरिराज सिंह

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बेगूसराय, 19 अगस्त (हि.स.)। बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने विकास में जनसंख्या विस्फोट को सबसे बड़ी बाधा बताते हुए कहा है कि देश के विकास को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून बहुत ही जरूरी है। मंगलवार रात जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के पेज पर लाइव के माध्यम से गिरिराज सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया की आबादी का 20 प्रतिशत सिर्फ भारत में है। जबकि जमीन दो प्रतिशत और पानी चार प्रतिशत से कम है, बढ़ती आबादी से प्राकृतिक संसाधन का दोहन हो रहा है। जल स्तर प्रतिवर्ष साढ़े तीन प्रतिशत से अधिक घट रहा है, भारत का 70 प्रतिशत जल प्रदूषित है, मात्र दस प्रतिशत लोगों को शुद्ध जल मिल रहा है, 2030 तक यह मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। भारत की बढ़ती आबादी से हर कोई परेशान है, देश के विकास में सबसे बड़े बाधक बने जनसंख्या विस्फोट पर काबू पाने के लिए जनसंख्या समाधान फाउंडेशन जन जागरण कर रहा है, आप-हम सब लोगों को यह करना होगा। प्रधानमंत्री ने पिछले 15 अगस्त को जनसंख्या के बढ़ते दबाव पर चर्चा किया था तो लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। आज चाइना ने मस्जिद में टॉयलेट बनाया तो किसी सेकुलर या राहुल गांधी की जुबान नहीं खुली। म्यांमार में रोहिंग्या का आतंक हुआ तो दिल्ली और मुंबई में जुलूस निकला। लेकिन बंगलुरु मामले पर कांग्रेस और भीम-भीम कहने वालों की जुबान पर ताला लग गया है। यह वोट बैंक की राजनीति भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के ऊपर प्रहार है।

गिरिराज सिंह ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून बनवाना मेरे जीवन का अंतिम लक्ष्य है। अगर कानून नहीं बना तो यह देश के विकास और सामाजिक समरसता के लिए बाधक है। भारत के अंदर जहां-जहां सनातनी आबादी घटी, वहां सामाजिक संतुलन बिगड़ गया। धार्मिक कट्टरता सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के लिए एक खतरा है, जातिवाद सनातन को कमजोर कर रहा है। हम वसुधैव कुटुंबकम की नीति अपनाते हैं और वे लोग गजवा-ए-हिंद की बात करते हैं। पाकिस्तान गजवा-ए-हिंद के लिए भारत में आतंकवाद भेज रहा है तो जुलूस निकालने वाले लोगों की जुबान बंद है। अफजल गुरु को फांसी देते समय आधी रात को कोर्ट खुलवाया गया। लेकिन दूसरे वर्ग पर अत्याचार होने पर किसी की जुबान नहीं खुलती है।
गिरिराज सिंह अपील किया है कि कोरोना में घर पर रहें, टेक्नोलॉजी और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के प्रति जागरूक करें। नहीं तो स्कूल में जगह नहीं मिलेगी, अस्पताल में इलाज नहीं होगा। 2014 में देश की आबादी 135 करोड़ थी, 2020 में बढ़कर 137 करोड़ हो गया। इसके लिए जब हम बोलते थे तो लोग कहते थे कि बोलता है, लेकिन एकता एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को ऊंचाई पर ले जाने और सामाजिक समरसता के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून के लिए जागरूकता जरूरी है। इसके लिए जन जागरण के माध्यम से संघर्ष करें। भरोसा है कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इसी कार्यकाल में जनसंख्या नियंत्रण कानून बन जाएगा। इसके लिए रोज सोशल मीडिया पर पोस्ट करें की 1947 की आजादी की कमी को पूरा करने के लिए एक और आजादी लानी होगी।

 


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