भर्ती रोके सेना घाटी के युवकों की आतंकी संगठनों में : नरवणे

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पाकिस्तान से शांति-समझौते के 100 दिन पूरे, सेना प्रमुख खुद मौजूद रहेंगे एलओसी पर उभरती सुरक्षा चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए तैयार रहने पर दिया जोर 



नई दिल्ली, 03 जून (हि.स.)। भारत-पाकिस्तान के बीच एलओसी पर शांति-समझौते के 100 दिन पूरे होने पर गुरुवार को भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे खुद जम्मू-कश्मीर की सीमा पर मौजूद रहेंगे। इसलिए वह दो दिवसीय दौरे पर बुधवार को कश्मीर घाटी पहुंचे हैं। इन दो दिनों में वह केंद्र शासित प्रदेश में मौजूदा सुरक्षा स्थिति, एलओसी के हालात की समीक्षा के साथ-साथ सीमा पर भारतीय सेना की ऑपरेशनल तैयारियों का भी जायजा लेंगे।
 
भारत और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स (डीजीएमओ) के बीच इसी साल हॉटलाइन पर बातचीत के बाद 24/25 फरवरी, 2021 की मध्य रात्रि से सीजफायर समझौता लागू करने की सहमति बनी थी। इसके तहत तय हुआ था कि दोनों देशों की सेनाएं लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर फायरिंग और गोलाबारी नहीं करेंगी। अगर सैनिक ऐसा करते हैं तो दोनों देशों की सेनाओं के स्थानीय कमांडर्स बातचीत से मामले को सुलझाएंगे। इस समझौते के बाद से सीमा पर ना तो फायरिंग हुई और ना ही गोलाबारी की कोई घटना सामने आई।
 
इन तीन महीनों में भले ही सीमा पर शांति है लेकिन एलओसी से सटे हुए इलाकों में पाकिस्तानी सेना की तैनाती मजबूत किये जाने की खुफिया जानकारियां मिल रही हैं। इसके अलावा पाकिस्तान की तरफ की कुछ सेटेलाइट तस्वीरें भी सामने आई हैं जिसमें पाकिस्तानी सेना एलओसी से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर नीलम घाटी में (किशनगंगा) के तट पर एक खास ‘बैठक स्थल’ का निर्माण करती दिख रही है। माना जा रहा है कि एलओसी पर पाकिस्तानी कमांडर के दौरे के समय पाकिस्तानी सैनिकों के यहां बैठने की व्यवस्था की जा रही है।
 
यही वजह है कि खुद थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे एलओसी के दो दिवसीय दौरे पर गए हैं। इस दौरान वह शीर्ष कमांडरों के साथ-साथ फील्ड-कमांडर्स से भी बातचीत करके सेना की ऑपरेशनल तैयारियों का जायजा लेंगे। सेना प्रमुख पहले दिन उत्तरी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी और चिनार कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे के साथ सीमा के भीतरी इलाकों में गए। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को मौजूदा सुरक्षा स्थिति पर स्थानीय कमांडरों ने जानकारी दी। सेना प्रमुख ने स्थानीय युवकों को आतंकी संगठनों में भर्ती कराने वाले ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) के नेटवर्क की पहचान करने के निर्देश दिए। साथ ही स्थानीय भर्ती को रोकने और स्थानीय आतंकवादियों का समर्पण कराने के लिए किये जा रहे प्रयासों पर भी चर्चा की गई।
 
सैनिकों के साथ बातचीत करते हुए जनरल नरवणे ने उन जवानों और कमांडरों की सराहना की, जो पाकिस्तान की दोहरी चुनौतियों, आतंकवाद और वैश्विक महामारी से लगातार जूझ रहे हैं। उन्होंने उभरती सुरक्षा चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके बाद सेना प्रमुख को चिनार कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडे ने नियंत्रण रेखा और भीतरी इलाकों से संबंधित समग्र स्थिति से अवगत कराया। सेना प्रमुख ने ‘संपूर्ण सरकार’ का दृष्टिकोण पेश करने में नागरिक प्रशासन के सभी वर्गों, जम्मू-कश्मीर पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के उत्कृष्ट तालमेल को सराहा।
 
उन्होंने कहा कि इसी की बदौलत केंद्र शासित प्रदेश की सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ है और विकास के नए युग की शुरुआत हुई है। दो दिवसीय दौरे के पहले दिन आज शाम को सेनाध्यक्ष नरवणे ने राजभवन में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर में दीर्घकालिक शांति के लिए उभरती चुनौतियों और रोड मैप पर चर्चा की। एलजी ने केंद्र शासित प्रदेश में शांति बहाल करने और सिविल प्रशासन को कोविड-19 महामारी के दौरान सहायता प्रदान करने में भारतीय सेना की भूमिका की को सराहा।
 

 


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