लद्दाख दौरे पर जनरल एमएम नरवणे ने बढ़ाया जवानों का हौसला

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सर्दी के मौसम में तेज बर्फबारी होने से पहले जनरल नरवणे का अग्रिम मोर्चों का दौरा अहम

 रणनीतिक रूप से संवेदनशील रेजांग-ला क्षेत्र के युद्ध स्मारक पर शहीदों को दी श्रद्धांजलि



नई दिल्ली, 02 अक्टूबर (हि.स.)। चीन सीमा के उच्च ऊंचाई वाले अग्रिम मोर्चों पर तैनात भारतीय सैनिकों की हौसला अफजाई करने के लिए सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे लद्दाख सेक्टर के दौरे पर हैं। सर्दियां शुरू होने से पहले जनरल नरवणे का यह दौरा मौजूदा सुरक्षा स्थिति और परिचालन तैयारियों की समीक्षा के लिए लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। सीओएएस ने सबसे कठिन इलाके और मौसम की स्थिति में तैनात सैनिकों के साथ बातचीत करके उनका हौसला बढ़ाया।

पूर्वी लद्दाख के दो दिवसीय दौरे के पहले दिन जनरल एमएम नरवणे ने रणनीतिक रूप से संवेदनशील रेजांग-ला क्षेत्र का दौरा किया और युद्ध स्मारक पर जाकर राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीरों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उपराज्यपाल राधा कृष्ण माथुर से राजभवन में मुलाकात करके केंद्र शासित प्रदेश में मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य पर चर्चा की। इसके बाद जनरल एमएम नरवणे ने पूर्वी लद्दाख में अग्रिम इलाकों का दौरा किया, जहां उन्हें मौजूदा सुरक्षा स्थिति और परिचालन तैयारियों के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने भी सैनिकों के साथ बातचीत करके उनकी दृढ़ता और उच्च मनोबल के लिए सराहना की।

नरवणे का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दरअसल, सर्दी के मौसम में तेज बर्फबारी होने के कारण लद्दाख का कई हिस्सा देश के अन्य हिस्सों से कट जाता है। ऐसे में भारत-चीन सीमा पर तैनात भारतीय जवानों का उत्साह बढ़ाने और ठंड में भी सरहद पर डटे रहकर भारत की रक्षा के लिए तैनात सैनिकों के लिए खाद्य एवं रसद सामगी और लॉजिस्टिक सपोर्ट की समीक्षा भी की।

अधिकारियों ने बताया कि नरवणे को 14वीं कोर के मुख्यालय में क्षेत्र की समग्र स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई, जिसे ‘फायर एंड फ्यूरी कोर’ के रूप में जाना जाता है। इस कोर के पास लद्दाख में चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की रखवाली की जिम्मेदारी है। इस दौरान उन्होंने चीन के साथ लंबे समय से एलएसी पर चले आ रहे गतिरोध के बीच सेना की तैयारियों और वहां के हालात का जायजा लिया।

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ तनाव के बाद भारतीय सेना की तैनाती में काफी बदलाव किया गया है। एलएसी पर भारतीय सेना ने एम-777 होवित्जर तोपों को तैनात किया हैंः अमेरिका से ली जा रही एम-777 की कुल 7 रेजिमेंट बननी हैं जिनमें तीन रेजिमेंट बन गई हैं और चौथी रेजिमेंट बनने की प्रक्रिया में है।

भारत का अमेरिका से कुल 145 ए-777 होवित्जर तोपें लेने का करार हुआ है। यह तोप 30 किमी. तक के टारगेट को ध्वस्त कर सकती हैं। हल्की होने की वजह से इसे कम वक्त में ही एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। इसके लिए सड़क होना जरूरी नहीं है, चिनूक हेलिकॉप्टर से भी इन्हें एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जा सकता है।

जनरल नरवणे ने गुरुवार को पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा था कि भारत और चीन के बीच सीमा पर घटनाएं तब तक होती रहेंगी जब तक दोनों देशों के बीच सीमा समझौता नहीं हो जाता। चीन पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का चीन के साथ अभी भी सीमा विवाद जारी है। हम किसी भी दुस्साहस का सामना करने के लिए फिर से तैयार हैं। दोनों देशों को सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए एक मजबूत प्रयास करना चाहिए। जनरल नरवणे शनिवार को अपने दौरे के आखिरी दिन कुछ और गहराई वाले क्षेत्रों में जाकर हालात का जायजा लेंगे।


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