सदैव रहेगा अमर परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन मनोज पांडेय का नाम: थल सेनाध्यक्ष

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गांव में दिखी खुशी की लहर



सीतापुर,19 मार्च (हि.स.)। भारतीय थल सेना अध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे दो दिवसीय दौरे के दूसरे दिन अपने तय क्रार्यक्रम में आज जनपद के रूढ़ा गांव पहुंचे। अपने गांव में सेना की चहलकदमी से सन् 1999 में कारगिल जंग के दौरान शहीद हुए सीतापुर के गौरव एवं परमवीर चक्र विजेता कैप्टन मनोज पाण्डेय का पैतृक गांव रुढ़ा आज अपने गांव में जन्मे लाल पर गर्व कर रहा है।
गांव में सेना बड़े अधिकारी को पाकर व परमवीर चक्र विजेता को जो सम्मान मिला उसे देखकर बड़े, बुर्जुगों की आंखों में खुशी के आंसू थे। तो वहीं वर्ष 1999 के बाद जन्में बच्चों के चेहरों पर शहीद मनोज पाण्डेय को लेकर जिज्ञासा की प्रवत्ति साफ झलक रही थी।
थल सेना अध्यक्ष निर्धारित समय पर आयोजित कार्यक्रम में गांव पहुंचते ही भारत माता के नारे गूंज उठा। कैप्टन मनोज के जन्मस्थान रूढ़ा की धरती पर सेना द्वारा स्थापित की गई प्रतिमा का लोकार्पण सेना प्रमुख द्वारा किया गया। इससे पहले सेना अध्यक्ष ने कैप्टन पांडे को सलामी दे उनकी प्रतिमा पर पुष्प चक्र अर्पित किया।
इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध बलिदान देने वाले परमवीर चक्र विजेता अमर शहीद कैप्टन मनोज पांडेय का नाम हमेशा अमर रहेगा। भारतीयत थल सेना में रूढ़ा गांव का योगदान गौरव का प्रतीत है। हमें रूढ़ा गांव के प्रत्येक व्यक्क्ति पर गर्व है। थल सेना अध्यक्ष के आगमन को लेकर गांव में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम रहा। शहीद के गांव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाचार्य आराधना दीक्षित को गांव की शिक्षा व्यवस्था मजबूत करने को एक लाख रुपये का चेक भी दिया।
परिवार के लिए गौरव की बात
थल सेना अध्क्षक्ष के हाथों बड़े भाई मनोज पाण्डेय की प्रतिमा अनावरण को लेकर उनके भाईयों मदन पाण्डेय व अमित पाण्डेय ने कहा कि यह पल उनके परिवार के अलावा पूरे जनपद के लिए गौरव की बात है। इस पल को वह अपने जीवन में नहीं भुला पाएंगे।
कारगिल युद्ध में कैप्टन ने दुश्मन के दांत किए थे खट्टे
1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के सैनिकों के दांत खट्टे करने वाले मनोज पांडेय ने अपने अदम्य साहस का परिचय देकर पाक सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब दिया था। इसी लड़ाई में वे वीरगति को प्राप्त हुए थे। कैप्टन मनोज पाण्डेय की गोरखा राइफल्स रेजीमेंट द्वारा उनकी जन्मस्थली रुढ़ा गांव में स्मृति स्थल बनाकर उनकी प्रतिमा स्थापित की गयी है।

 


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