नई दिल्ली, 03 सितम्बर (हि.स.)। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि पाकिस्तान चीन सीमा की स्थिति का फायदा उठाते हुए किसी भी तरह के दुस्साहस का प्रयास कर सकता है लेकिन हम इसका जवाब देने के लिए तैयार हैं। साथ ही भारत के खिलाफ चीन की आक्रामक गतिविधियों को देखा जा रहा है लेकिन हम इन सबसे उपयुक्त तरीके से निपटने में सक्षम हैं।
सीडीएस जनरल बिपिन रावत गुरुवार को अमेरिका-भारत रणनीतिक और साझेदारी फोरम के तीसरे वार्षिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस वेबिनार में कोहेन समूह के अध्यक्ष और सीईओ विलियम एस. कोहेन भी शामिल हुए। वह यूएसआईएसपीएफ के बोर्ड के सदस्य भी हैं। यह एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसकी स्थापना अमेरिका-भारत द्विपक्षीय और रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए की गई है। उन्होंने कहा कि जो लोग फ्रंटलाइन पर तैनात हैं, हमारे विमानों को उड़ा रहे हैं, समुद्र में हमारे जहाजों पर तैनात हैं, उनमें से कोई भी अब तक कोरोना से प्रभावित नहीं है।
सीडीएस रावत ने कहा कि पाकिस्तान चीन सीमा की स्थिति का फायदा उठाते हुए किसी भी तरह के दुस्साहस का प्रयास कर सकता है लेकिन हम इसका जवाब देने के लिए तैयार हैं। अभी तक हमने पर्याप्त सावधानियां बरतीं हैं लेकिन यदि पाकिस्तान ने किसी भी तरह की गलत हरकत की तो उसे बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। पाकिस्तान उत्तरी सीमाओं पर विकसित होने वाले किसी भी खतरे का फायदा उठाकर हमारे लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। जम्मू-कश्मीर में परेशानी पैदा करने के लिए पाकिस्तान अपनी धरती से आतंकवादियों को प्रायोजित छद्म युद्ध के लिए सुविधाओं से लैस करता रहा है।
चीन सीमा की स्थिति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ चीन की आक्रामक गतिविधियों को देखा जा रहा है लेकिन हम इन सबसे उपयुक्त तरीके से निपटने में सक्षम हैं। अगर हमारी सैन्य नीति विश्वसनीय और क्षेत्रीय प्रभाव से समर्थित नहीं है तो चीन की प्रधानता को स्वीकार करना होगा। भारतीय सशस्त्र बलों को तत्काल संकट से निपटने और भविष्य के लिए समवर्ती रूप से तैयार रहना होगा। हम इंटेलिजेंस शेयरिंग और अमेरिका से उच्च तकनीक युद्धक्षेत्र प्रणालियों की निरंतर आपूर्ति कर रहे हैं। तिब्बत में अवसंरचना विकास, सामरिक रेलवे लाइनों का विकास और चीन द्वारा किये गये सैन्य सुधारों का अध्ययन किया जा रहा है।
जनरल रावत ने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी में एक और प्रगति हुई है, इसलिए संभावना है कि जल्द ही भू स्थानिक डेटा का आदान-प्रदान करने के लिये बीईसीए समझौते को जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है। उन्होंने समुद्र और हवा के माध्यम से नेविगेशन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए क्वाड प्रणाली बनने की इच्छा जताते हुए कहा कि अब नाटो की तरह एक वास्तविक समूह बनने के करीब है, जिससे इससे चीन बहुत चिढ़ जाएगा। हम अपनी सीमाओं के पार शांति और शांति चाहते हैं। चीन के आक्रामक दुर्व्यवहारों के बावजूद भारत ने उसे नियंत्रित करने और रोकने के लिए एक पर्याप्त उपाय अपनाए हैं।
भारत और अमेरिका के संबंधों के बारे में जनरल रावत ने कहा कि जहां तक भारत और अमेरिका के बीच संबंधों की बात है तो 2+2 वार्ता से यह सम्बन्ध मजबूत हुआ है। दोनों देश स्वतंत्र हिंद प्रशांत क्षेत्र की वकालत करते हैं। इस साल फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच 3 अरब डॉलर के रक्षा समझौते हुए थे। इसके तहत भारत अपाचे हेलिकॉप्टर और चिनूक जैसे अमेरिकी रक्षा उपकरण हासिल करेगा। अभी हम अमेरिका से निरंतर सूचना साझा करने की उम्मीद करते हैं।