नई दिल्ली, 03 जनवरी (हि.स.)। चीन सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश के परिचालन क्षेत्रों में अपनी यात्रा के दूसरे दिन सैन्य बलों के प्रमुखसीडीएस जनरल बिपिन रावत ने सुबनसिरी घाटी का दौरा किया। अग्रिम चौकियों पर तैनात सेना और आईटीबीपी के जवानों से मुलाक़ात के बाद सीडीएस सभी रैंकों के उच्च मनोबल और प्रेरणा से संतुष्ट दिखे और अभिनव उपायों को अपनाने के लिए सैनिकों की सराहना करते हुए उनका हौसला बढ़ाया। हाल ही में चीन ने लद्दाख के बाद अरुणाचल से सटे इलाकों में भी अपनी पहुंच बनानी शुरू कर दी है। ऐसे में बिपिन रावत का यह दौरा बेहद अहम माना जा रहा है।
सीडीएस जनरल रावत ने अपनी यात्रा के पहले दिन शनिवार को अरुणाचल प्रदेश और असम में चीन की सीमा के साथ सैन्य ठिकानों का दौरा किया था। उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास अरुणाचल में दिबांग वैली और लोहित सेक्टर में वायुसेना के फॉरवर्ड ठिकानों का भी दौरा किया। इस दौरान सेना, वायुसेना, आईटीबीपी और एसएफएफ के जवानों से मिलकर उनका उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि केवल भारतीय सैनिक ही ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सतर्क रह सकते हैं। उन्होंने भारतीय सैनिकों का उच्च मनोबल देखने के बाद कहा कि ‘जवानों का बुलंद हौसला देखकर यकीन होता है कि भारतीय सेना से मुकाबला करने वाले टूटकर बर्बाद हो जायेंगे।‘ सीडीएस ने यह भी टिप्पणी की कि मुझे विश्वास है कि भारतीय रक्षा बलों से लड़ने वालों को नष्ट कर दिया जाएगा।
अपनी यात्रा के दूसरे दिन रविवार को जनरल रावत अरुणाचल प्रदेश में सुबनसिरी घाटी के साथ सबसे आगे बनाई गई हवाई पोस्ट पर पहुंचे और यहां तैनात सेना एवं आईटीबीपी के जवानों से मिले। सीडीएस ने किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए स्थानीय रूप से विकसित प्रौद्योगिकी और रक्षा तैयारियों के माध्यम से निगरानी के अभिनव उपायों को अपनाने के लिए सैनिकों की सराहना की। सीडीएस ने सभी रैंकों के उच्च मनोबल और प्रेरणा से संतुष्ट होते हुए कहा कि किसी भी तरह की चुनौती मिलने या मौका दिए जाने पर हमारे सैनिक निश्चित जीत सुनिश्चित करेंगे।
दरअसल, चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा के पास तिब्बत के ल्हासा और नयींगशी शहरों को जोड़ने के लिए रेल पटरी बिछाने का काम 31 दिसम्बर को पूरा कर लिया है। शिचुआन-तिब्बत रेलवे, शिचुआन प्रांत की राजधानी चेंगदु से शुरू होता है और यह यान से गुजरते हुए और छामदो होते हुए तिब्बत में प्रवेश करता है। भारतीय सेना ने लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक एलएसी के साथ 20 से अधिक संवेदनशील स्थानों की पहचान की है, जहां से सर्दियों में बर्फ पिघलने के बाद चीनी सेना भारतीय सीमा क्षेत्र में घुसपैठ के प्रयास कर सकती है। चीन की असामान्य हलचल दिखने के बाद अरुणाचल के सीमावर्ती इलाकों में और चौकसी बढ़ा दी गई है।
लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ इस समय चीन के साथ चल रहे तनाव के चलते अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में भी पूरी तरह से चौकसी बरती जा रही है। इसके बावजूद चीनी सेना भारतीय सीमा के दुर्गम इलाकों में चोरी-छिपे घुसपैठ करने की फिराक में रहती है। चीन ने पूर्वी लद्दाख में भारत से गतिरोध के बीच अरुणाचल प्रदेश की सीमा के पास तीन नए गांव बसा दिए हैं। इसके अलावा सीमा से 5 किमी. दूर तवांग में नया सैन्य बुनियादी ढांचा भी खड़ा कर लिया है। हालांकि, दोनों ही देश सीमा विवाद को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और नौंवे दौर की वार्ता जल्द होने की उम्मीद है।
इन दिनों चीनी वायुसेना की हलचल अपने एयरबेस पर बढ़ती दिख रही है, इसीलिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने भी चीन के 7 सैन्य एयरबेसों पर निगरानी बढ़ा दी है। सेटेलाइट या अन्य माध्यमों से वहां की हर छोटी-बड़ी हलचल पर भारत की पैनी निगाह है। लद्दाख पर कब्जा जमाने के साथ-साथ चीन की तिरछी नजर पूर्वोत्तर भारत पर भी है। इसीलिए चीन के ये एयरबेस हाल के कुछ दिनों में लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक काफी सक्रिय रहे हैं। चीन ने अपने इन एयरबेस पर पक्के शेल्टर बनाए हैं और रन-वे की लंबाई भी बढ़ाई है। इसके साथ ही चीन ने एलएसी से सटे इलाकों में निगरानी बढ़ाने के लिए अपने सर्विलांस सिस्टम को अपग्रेड किया है।