नई दिल्ली, 31 अगस्त (हि.स.)। सरकार को आर्थिक मोर्चे पर बड़ा झटका लगा है। देश की विकास दर में गिरावट दर्ज हुई है। चालू वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 5.8 फीसदी से घटकर 5 फीसदी हो गई है।
अर्थव्यवस्था के विकास की यह दर मोदी सरकार के कार्यकाल के किसी एक तिमाही में सबसे सुस्त रफ्तार है। छह साल पूर्व यूपीए सरकार के शासन के वक्त किसी एक तिमाही में जीडीपी के आंकड़े इस स्तर पर पहुंचे थे। अगर सालाना आधार पर इसकी तुलना की जाए तो जीडीपी में करीब 3 फीसदी की गिरावट है। गौरतलब है कि एक साल पहले इसी तिमाही में जीडीपी की दर 8 फीसदी थी।
जीडीपी के ये आंकड़े ऐसे वक्त में आए हैं, जब दुनियाभर की रेटिंग एजेंसियाें ने भारत की जीडीपी का अनुमान घटाया है। हाल ही में इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड ने देश की सालाना जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.3 फीसदी से घटाकर 6.7 फीसदी कर दिया है। दरअसल एजेंसी का मानना है कि खपत में कमी, मॉनसून में बारिश अपेक्षा से कम व मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी गिरावट की वजह से लगातार तीसरे साल भारत की अर्थव्यवस्था में सुस्ती रह सकती है।