वर्धा, 06 फरवरी (हि.स.)। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को कहा कि गांव को समृद्ध करने, युवाओं को रोजगार देने एवं कृषि में सुधार करने के लिए संचार, समन्वय और सहयोग के सूत्र पर काम करना होगा। ग्रामीण उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए नई तकनीक के साथ विपणन की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल एवं डीजल के विकल्प के रूप में सीएनजी, इथेनाल, बायोगैस को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने विदर्भ के नागपुर, भंडारा, गढ़चिरौली और वर्धा जैसे जिलों को डीजल मुक्त करने का आह्वान किया।
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में आयोजित ‘वर्धा मंथन 2021 : ग्राम स्वराज की आधारशिला’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में गडकरी ने कहा कि वर्धा में किसानों को समृद्ध करने के लिए खाद्य प्रसंस्करण के द्वारा सब्जियां दुबई, कनाडा भेजी जा रही हैं। वर्धा के ‘गोरस पाक’ को पैकेजिंग, ब्रांडिंग के माध्यम से वैश्विक स्तर पर ले जाया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमें समय-काल के अनुसार स्वयं में परिवर्तन करना चाहिए। गांव, किसान और कारीगर को केंद्र में रखकर ही नीति निर्माण किया जाना चाहिए। राजनीति सत्ता के लिए नहीं बल्कि समाज में बदलाव का एक उपकरण है। गडकरी ने कहा कि महात्मा गांधी, संत विनोबा भावे, दीनदयाल उपाध्याय, दत्तोपंत ठेंगड़ी जैसे राष्ट्रनायकों की तरह सत्ता की राजनीति को छोड़कर हमें राष्ट्रीयकरण का काम करना चाहिए। सड़क परिवहन मंत्री ने कहा कि खादी में नवोन्मेष को बढा़वा देने से गांव समृद्ध होंगे। गांवों में रोज़गार, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। जब तक गांव, गरीब, मजदूर, किसान आत्मनिर्भर नहीं होंगे तब तक देश आत्मनिर्भर नहीं बन सकता। आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए हमें प्रतिभावान युवाओं को प्रेरित कर गांवों की ओर भेजना होगा।
इस अवसर पर महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी (बिहार) के कुलाधिपति तथा खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि आज आर्थिक गैर-बराबरी और विषमताएं बढ़ी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का रास्ता दिखाया है। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत भी स्वावलंबन पर ज़ोर देते रहे हैं। अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने कहा कि ग्राम विकास, समाज सेवा, सामाजिक सुधार, तकनीक और राजनीति जैसे विविध क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों का समवाय है। उन्होंने कहा कि 1934 में महात्मा गांधी ने स्पष्ट कहा था कि मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश रचनात्मक कार्यक्रम है। भारत की आज़ादी केवल सत्ता परिवर्तन की नहीं बल्कि रचनात्मक कार्यक्रम के माध्यम से सभ्यता परिवर्तन का एक यज्ञ है। गांधी का स्वराज रामराज्य है। भारत केवल खेतिहरों का नहीं बल्कि कारीगरों का भी देश है। ‘वर्धा मंथन’ के माध्यम से किसान, कारीगर, दस्तकार, शिल्पकार पर चर्चा कर स्वावलंबी और आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना का दस्तावेज तैयार हो सकेगा।
कार्यक्रम के दौरान दिलीप केलकर एवं आशीष गुप्ता की पुस्तक ‘ग्राम विकास-भारतीय दृष्टि’ और डॉ. अर्चना की पुस्तक ‘दैशिक शास्त्र‘ का विमोचन किया गया। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चंद्रकांत रागीट ने तथा धन्यवाद म.गां. फ्यूजी गुरुजी सामाजिक कार्य अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. मनोज कुमार ने ज्ञापित किया। ‘ग्राम विकास के देशज प्रयोग’ विषय पर प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. कृपाशंकर चौबे ने की। इस सत्र में पोपटराव पवार, रवि गावंडे, दिलीप केलकर, देवाजी तोफा, मोहन हीराबाई, नंदु गावंडे, अनिल सांबरे, विजय घुगे ने विचार व्यक्त किये।
‘ग्राम स्वराज और भारतीय कृषि : अंतर्संबंध’ विषय पर आयोजित दूसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता विधि विभाग के अध्यक्ष प्रो. चतुर्भुजनाथ तिवारी ने की। इस सत्र में वसंत फुटाने, उमेश चंद्र, सचिन देशपांडे, गोपाल पालीवाल, संजय सराफ एवं राजेंद्र काले ने चर्चा की। ‘कारीगरी आधारित भारतीय समाज एवं अर्थव्यवस्था’ विषयक सत्र की अध्यक्षता संस्कृति विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. नृपेंद्र प्रसाद मोदी ने की। इस सत्र में बसंत भाई, सुनील देशपांडे, आशीष गुप्ता, लोकेंद्र भारती, डॉ. सोहम पण्डया, जी प्रशांत, डॉ. विभा गुप्ता, बलवंत ढगे, शालिनी दुबे ने विचार रखे। उद्घाटन समारोह में विधायक रामदास आंबटकर, विधायक डॉ. पंकज भोयर, जिला परिषद अध्यक्ष श्रीमती सरिता गाखरे, जिलाधिकारी विवेक भिमनवार, उमरी ग्राम पंचायत की सरपंच नीता उघडे सहित देशभर के प्रतिष्ठित कार्यकर्ता एवं प्रतिभागी उपस्थित रहे।