ऐमजॉन से मांगी 8 बार मदद, लेकिन एक बार भी नहीं दिया जवाब : फ्यूचर ग्रुप संस्थापक किशोर बियानी

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मुंबई/नई दिल्ली, 04 जनवरी (हि.स)। फ्यूचर ग्रुप के संस्थापक किशोर बियानी ने कहा कि जब उनके समूह को मदद की सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब ऐमजॉन ने उनसे मुंह फेर लिया।  मीडिया के साथ बातचीत में बियानी ने कहा कि ऐमजॉन अब रिलायंस रिटेल के साथ फ्यूचर ग्रुप की डील में रोड़ा अटकाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने रिलायंस रिटेल को रक्षक बताया। उन्होंने यह भी कहा कि ऐमजॉन फ्यूचर ग्रुप को बर्बाद होते देखना चाहती है।

बियानी ने कहा कि उन्होंने फ्यूचर ग्रुप की खस्ता हालत को ऐमजॉन से आठ बार बात की थी लेकिन, उसने उनकी एक बार भी बात नहीं सुनी। उसने तब भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया, जब हमें कर्ज देने वाले बैंक हमारे शेयर बेचने लगे थे।

पिछले साल अगस्त में रिलायंस इंडस्ट्रीज से डील के बाद मीडिया के साथ पहली बार रू-ब-रू हुए बियानी ने कहा, “समझौते के मुताबिक हमारी मदद के लिए ऐमजॉन सहायक कंपनियों या वित्तीय संस्थानों के जरिए पैसे का इंतजाम कर सकती थी। वह बैंकों से कर्ज ले सकती थी लेकिन उसने हमारी गुजारिश और समझौते की शर्त के बावजूद ऐसा नहीं किया।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल अगस्त में फ्यूचर ग्रुप ने अपना रिटेल एसेट रिलायंस को 25,000 करोड़ रुपये में बेचने के लिए डील की थी। ऐमजॉन ने इस डील के खिलाफ सिंगापुर मध्यस्था कोर्ट (एसआईएसी)  का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद एसआईएसी ने फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस के बीच हुई डील पर रोक लगा दी थी।

उधर, ऐमजॉन का कहना है कि फ्यूचर ग्रुप ने समझौते की शर्त तोड़ी है। फ्यूचर ग्रुप और उसके बीच हुए समझौते के तहत उसे फर्स्ट रिफ्यूजल का राइट्स हासिल था। इसके अलावा फ्यूचर ग्रुप को रिलायंस समेत किसी भी दूसरी कंपनी से डील करने का अधिकार नहीं था।

क्या है पूरा मामला ?
विवाद उस समय शुरू हुआ, जब फ्यूचर ग्रुप ने करीब 24 हजार करोड़ रुपये में अपना खुदरा, भंडारण और लॉजिस्टिक्स कारोबार रिलायंस इंडस्ट्री को बेचने की डील की। इस सौदे पर आपत्ति जताते हुए ऐमजॉन ने कहा था कि उसने फ्यूचर रिटेल की प्रवर्तक कंपनी एफसीपीएल में पिछले साल अगस्त में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी थी। इसके लिए हुए सौदे में ऐमजॉन को फ्यूचर समूह में निवेश करने के बारे में पहले पूछे जाने का अधिकार मिला है। साथ ही तीन से 10 साल की अवधि के बाद समूह की प्रमुख कंपनी फ्यूचर रिटेल में हिस्सेदारी खरीदने का भी अधिकार मिला है। गौरतलब है कि एफसीपीएल की फ्यूचर रिटेल में 7.3 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

पूरे मामले में एक बात तो साफ है कि असली लड़ाई फ्यूचर ग्रुप और ऐमजॉन की है, लेकिन रिलायंस रिटेल इन दोनों के बीच चल रही कानूनी लड़ाई में फंस गया है। अब तक इस लड़ाई का कोई हल नहीं निकल सका है और दिल्ली हाईकोर्ट में फिलहाल इस मामले को लेकर कानूनी लड़ाई जारी है।

 


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