भारत और फ्रांस की अंतरिक्ष एजेंसियों ने गुरुवार को देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए सहयोग के लिए एक समझौता किया। मंगलवार को तीन दिवसीय यात्रा पर भारत आये फ्रांस के यूरोप और विदेश मामलों के मंत्री ज्यां-यवेस ले ड्रियन अपने दौरे के आखिरी दिन बेंगलुरु में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) पहुंचे। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख डाॅ. के. सिवन से मुलाक़ात की। अपनी आधिकारिक यात्रा के दौरान ले ड्रियन ने फ्रांसीसी कंपनी मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (एचएसएफसी) से इसरो के साथ एक नए अंतरिक्ष सहयोग समझौते की घोषणा की। फ्रांसीसी दूतावास ने एक बयान में कहा कि इस समझौते के तहत फ्रांस भारत के गगनयान मानव अंतरिक्ष यान कार्यक्रम में योगदान देगा।
नई दिल्ली, 16 अप्रैल (हि.स.)। इसरो के ‘मिशन गगनयान’ में सहयोग के लिए गुरुवार को भारत-फ्रांस के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किये गए। यूरोप और फ्रांस के विदेश मामलों के मंत्री ज्यां-यवेस ले ड्रियन ने अपनी तीन दिवसीय आधिकारिक भारत यात्रा के हिस्से के रूप में आज बेंगलुरु में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का दौरा किया। समझौते की शर्तों के तहत फ्रांसीसी संस्थासीएनईएस भारत के फ्लाइट फिजिशियन और मिशन कंट्रोल टीमों को माइक्रोग्रैविटी अनुप्रयोगों के विकास के लिए प्रशिक्षित करेगी। इसके अलावा जर्मनी के कोलोन में यूरोपीय अंतरिक्ष यात्री केंद्र में अंतरिक्ष संचालन के लिए प्रशिक्षित किया जायेगा।
फ्रांस और भारत के बीच पहला अंतरिक्ष समझौता 1964 में किया गया था। दोनों देशों के बीच मौजूदा साझेदारी अंतरिक्ष गतिविधि के लगभग सभी क्षेत्रों को कवर करती है। इसरो इस साल संयुक्त ओशनसैट 3-आर्गोस मिशन भी शुरू करेगा। नए समझौते के साथ फ्रांस गगनयान कार्यक्रम में तकनीकी और मानवीय चुनौती के रूप में भाग ले रहा है। गगनयान कक्षीय अंतरिक्ष यान परियोजना को अगस्त 2018 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य मूल रूप से 2022 में देश की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ पर चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजना था। टेस्ट उड़ानों में एक यंत्रवत ह्यूमनॉइड रोबोट होगा। यह कैप्सूल अहमदाबाद के तट से अरब सागर में नीचे गिरने से पहले सात दिनों के लिए 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर परिक्रमा करेगा।
इसरो ने फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस को गगनयान मिशन की तैयारी में मदद करने और इस डोमेन में यूरोपीय संपर्क के रूप में काम करने के लिए कहा है। समझौते की शर्तों के तहत अंतरिक्ष अध्ययन के लिए राष्ट्रीय केंद्र सीएनईएस भारत के फ्लाइट फिजिशियन और मिशन कंट्रोल टीमों को माइक्रोग्रैविटी अनुप्रयोगों के विकास के लिए प्रशिक्षित करेगा। इसके अलावा जर्मनी के कोलोन में यूरोपीय अंतरिक्ष यात्री केंद्र में अंतरिक्ष संचालन के प्रशिक्षित किया जायेगा। फ्रांस से हुआ यह समझौता भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को वैज्ञानिक योजना के कार्यान्वयन का समर्थन करने, खाद्य पैकेजिंग और पोषण कार्यक्रम पर जानकारी आदान-प्रदान करने, फ्रांसीसी उपकरण, उपयोगी सामग्रियों और चिकित्सा उपकरणों के उपयोग में मदद करेगा।
सीएनईएस द्वारा विकसित किये गए फ्रांसीसी उपकरणों का अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में परीक्षण किया गया है और अभी भी परिचालन कर रहे हैं। यह सभी उपकरण भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को उपलब्ध कराए जायेंगे। थॉमस पेस्केट ने अपने पहले अंतरिक्ष यान पर इन उपकरणों का परीक्षण किया था। यह अल्फा मिशन के लिए 22 अप्रैल को आईएसएस के लिए अपनी दूसरी उड़ान बनाने के लिए तैयार हैं। सीएनईएस फ्रांस में बने अग्निरोधक कैरी बैग की आपूर्ति करेगा, जो झटके और विकिरण से भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षा देगा।