फार्च्यून मेटालिका स्टील फैक्ट्री में काम करने वाले 200 से अधिक मजदूर दक्षिण अफ्रीका के कोयला खानों में फंसे

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सभी मजदूरों को टूरिस्ट वीजा के आधार पर भेजा गया, इसलिए विदेश मंत्रालय के इमीग्रेशन विभाग में किसी का रिकाॅर्ड नहीं है।



रायपुर,5 अक्टूबर (हि.स.) रायपुर से 23 किमी दूर धरसींवा स्थित फार्च्यून मेटालिका स्टील फैक्ट्री में काम करने वाले 200 से अधिक मजदूर टूरिस्ट वीजा पर दक्षिण अफ्रीका भेजे गए, जो अब वहां कोयला खानों में फंस गए हैं। फैक्ट्री मालिकों की अफ्रीका में कोयला खानें हैं। मजदूर अब वहीं कैद हो गए हैं। सभी मजदूरों को टूरिस्ट वीजा के आधार पर भेजा गया, इसलिए विदेश मंत्रालय के इमीग्रेशन विभाग में किसी का रिकाॅर्ड नहीं है।3 साल पहले एक मजदूर किसी तरह से वहां से भाग आया और उसने विदेश मंत्रालय में गोरखधंधे की शिकायत की। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने कई बार चिट्‌ठी भेजकर पुलिस से रिपाेर्ट मांगी, लेकिन अफसरों ने नोटिस जारी कर खानापूर्ति से अधिक कुछ नहीं किया। विदेश मंत्रालय की पहली चिट्‌ठी 3 साल पूर्व आई थी। अभी 3 माह पहले फिर रिमाइंडर भेज ये भी पूछा गया- मानव तस्करी के इस मामले में अब तक क्या किया गया, रिपोर्ट दें। पर पुलिस ने इस बार भी नोटिस जारी कर खानापूर्ति कर दी। एसएसपी आरिफ शेख ने कहा कि फैक्ट्री प्रबंधन को नोटिस जारी किया है, जांच के बाद कार्रवाई करेंगे।

उत्तराखंड के एक मजदूर को भी फार्च्यून मेटालिक फैक्ट्री से दक्षिण अफ्रीका भेजा गया था। मजदूर को वहां काम पसंद नहीं आया। सुविधाएं भी वैसी नहीं दी जा रही थी, जैसी बताई गई थीं। उसने वहां के पुराने वर्कर्स को किसी तरह विश्वास में लिया और उनकी मदद से भारत लौट आया। फिर उसने विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर बताया कि यहां से चोरी- छिपे मजदूर ले जाए जा रहे हैं। वहां खदान इलाके में कैद कर उनसे काम कराया जा रहा है। उसी मजदूर की चिट्‌ठी के आधार पर यहां पत्र भेजा गया।

फैक्ट्री द्वारा द. अफ्रीका की कोयला खदान का ठेका 5 पार्टनर्स ने मिलकर लिया है। इसमें से 3 दिल्ली और 2 रायपुर के हैं। रायपुर से मजदूर दिल्ली भेजे जाते हैं और वहीं से उन्हें साउथ अफ्रीका भेजा जाता है। उसके बाद उन्हें कोयला खदानों में काम पर लगा दिया जाता है। फार्च्यून मेटालिका स्टील फैक्ट्री के एचआर हेड दीपक निगम के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में भी हमारी फैक्ट्री है। हम मजदूरों को ट्रांसफर करते हैं। हमें इमीग्रेशन विभाग में रजिस्टर होने की जरूरत नहीं है।3 साल पहले एक मजदूर किसी तरह से वहां से भाग आया और उसने विदेश मंत्रालय में गोरखधंधे की शिकायत की। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने कई बार चिट्‌ठी भेजकर पुलिस से रिपाेर्ट मांगी, लेकिन अफसरों ने नोटिस जारी कर खानापूर्ति से अधिक कुछ नहीं किया। विदेश मंत्रालय की पहली चिट्‌ठी 3 साल पूर्व आई थी। अभी 3 माह पहले फिर रिमाइंडर भेज ये भी पूछा गया- मानव तस्करी के इस मामले में अब तक क्या किया गया, रिपोर्ट दें। पर पुलिस ने इस बार भी नोटिस जारी कर खानापूर्ति कर दी। एसएसपी आरिफ शेख ने कहा कि फैक्ट्री प्रबंधन को नोटिस जारी किया है, जांच के बाद कार्रवाई करेंगे।उत्तराखंड के एक मजदूर को भी फार्च्यून मेटालिक फैक्ट्री से दक्षिण अफ्रीका भेजा गया था। मजदूर को वहां काम पसंद नहीं आया। सुविधाएं भी वैसी नहीं दी जा रही थी, जैसी बताई गई थीं। उसने वहां के पुराने वर्कर्स को किसी तरह विश्वास में लिया और उनकी मदद से भारत लौट आया। फिर उसने विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर बताया कि यहां से चोरी- छिपे मजदूर ले जाए जा रहे हैं। वहां खदान इलाके में कैद कर उनसे काम कराया जा रहा है। उसी मजदूर की चिट्‌ठी के आधार पर यहां पत्र भेजा गया।

फैक्ट्री द्वारा द. अफ्रीका की कोयला खदान का ठेका 5 पार्टनर्स ने मिलकर लिया है। इसमें से 3 दिल्ली और 2 रायपुर के हैं। रायपुर से मजदूर दिल्ली भेजे जाते हैं और वहीं से उन्हें साउथ अफ्रीका भेजा जाता है। उसके बाद उन्हें कोयला खदानों में काम पर लगा दिया जाता है। फार्च्यून मेटालिका स्टील फैक्ट्री के एचआर हेड दीपक निगम के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में भी हमारी फैक्ट्री है। हम मजदूरों को ट्रांसफर करते हैं। हमें इमीग्रेशन विभाग में रजिस्टर होने की जरूरत नहीं है।

विदेश मंत्रालय ने अपने पत्र में निर्देश दिया है की मजदूरों को सुविधाओं का लालच देकर द. अफ्रीका भेजा जा रहा है। पर वहां न उन्हें सुविधा मिलती है न तनख्वाह। भागकर आए मजदूर ने फार्च्यून मेटालिक का नाम लिया है, उस नाम से इमीग्रेशन विभाग में किसी कंपनी का रजिस्ट्रेशन नहीं है। पुलिस जांच करे, कंपनी कैसे मजदूर भेज रही है। मजदूरों को सुविधाओं का लालच देकर द. अफ्रीका भेजा जा रहा है। पर वहां न उन्हें सुविधा मिलती है न तनख्वाह। भागकर आए मजदूर ने फार्च्यून मेटालिक का नाम लिया है, उस नाम से इमीग्रेशन विभाग में किसी कंपनी का रजिस्ट्रेशन नहीं है। पुलिस जांच करे, कंपनी कैसे मजदूर भेज रही है।

 


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