स्मृति शेष: जब पूर्व सांसद एके राय से मिलने के बाद शूटर का इरादा बदल गया

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राय दा की निडरता और उनके कामकाज का अंदाज देखने के बाद शूटर बिंदू सिंह चुपचाप अपना इरादा बदल कर बिना गोली चलाये उल्टे पांव चलता बना। इस बात का खुलासा खुद बिंदु सिंह ने बाद में पुलिस अभिरक्षा के दौरान किया। 



धनबाद , 22 जुलाई (हि.स.)। कोयलांचल में 1971 से ही माफिया राज कायम है ? 1990 की बात है, धनबाद में अपने संसदीय कार्यकाल के बाद भी कॉमरेड एके राय (अरुण कुमार राय) ने माफिया के खिलाफ लड़ाई जारी रखी। उस दौरान उन्होंने धनबाद शहर के पुराना बाजार टेम्पल रोड स्थित सेंटर आफ इंडियन ट्रेन यूनियन्स (सीटू) के केंद्रीय कार्यालय में रह कर जीवन यापन किया लेकिन कोयलांचल के माफिया की धमकियों से कभी समझौता नहीं किया।
दिवंगत कॉमरेड एके राय के समर्थक राजेंद्र महतो राजा बताते हैं कि उन दिनों कोयला माफिया के खिलाफ राय दा ने मोर्चा खोल रखा था। इस दौरान एक दिन अहले सुबह कभी बिहार का आतंक कहे जाने वाला शूटर बिंदू सिंह सीटू कार्यालय पहुंचा। उस समय राय दा रोज की तरह कार्यालय में खुद झाड़ू लगा रहे थे। बिंदु सिंह ने राय दा से ही पूछा कि एके राय कहां है? यह सुनकर राय दा ने बेफिक्री के साथ जवाब दिया, “मैं ही एके राय हूं।”
राय दा की निडरता और उनके कामकाज का अंदाज देखने के बाद शूटर बिंदू सिंह चुपचाप अपना इरादा बदल कर बिना गोली चलाये उल्टे पांव चलता बना। इस बात का खुलासा खुद बिंदु सिंह ने बाद में पुलिस अभिरक्षा के दौरान किया।
मासस के केंद्रीय सचिव हलधर महतो ने राय दा की सादगी के बारे में एक वाकया सुनाते हुए बताया कि चटाई बिछाकर सोने वाले एके राय ने कार्यालय में कभी बिजली नहीं लगाने दी। उनका मानना था कि देश के कई गांव ऐसे हैं, जहां आज भी बिजली नही पहुंची। वहां के लोग आज भी इन सब बुनियादी समस्याओं से वंचित हैं। जब तक उन्हें यह सब सुविधा नहीं उपलब्ध हो जाती, तब तक इनका लाभ मैं भी नही लूंगा।
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एके राय की अंत्येष्टि राजकीय मम्मान के साथ करने का आदेश दिया है। रविवार को दिवंगत हुए राय दा की  अंत्यष्टि की गयी।

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