महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण पर बिफरे संत, शंकराचार्यों ने की निंदा.

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चव्हाण ने ट्वीट करके मठ मंदिरों का सोना बैंक में जमा कराने का दिया था सुझाव



लखनऊ, 17 मई (हि.स.)। उत्तर प्रदेश के संतों, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों और शंकराचार्यों ने कांग्रेस नेता व  महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के ट्वीट पर घोर आपत्ति जताई है। चव्हाण ने हाल ही में ट्वीट कर सरकार को सुझाव दिया था कि मठ मंदिरों का सोना बैंक में जमा कर उसके बदले कर्ज लेकर उसे कोरोना से जारी जंग में लगाया जाए।
ज्येतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य एवं श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री के इस सुझाव की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा है कि एक जिम्मेदार राजनेता को धर्म विशेष पर इस तरह की बातें शोभा नहीं देतीं।
पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अधोक्षजानंद देवतीर्थ ने कहा कि सनातन धर्म के मठ मंदिर पहले से ही सेवा कार्य में लगे हुए हैं।  वार्ता के दौरान शंकराचार्य देवतीर्थ ने कहा कि पृथ्वीराज चव्हाण को पता होना चाहिए कि मठ और मंदिर शिक्षा और सेवा कार्य में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
काशी सुमेरु पीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने चव्हाण के ट्वीट पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें पहले नेताओं की बेनामी संपत्तियों को जब्त करने का सुझाव देना चाहिए था। उन्होंने  कहा कि मठ मंदिरों में खजाने नहीं होते। वहां श्रद्धालुओं की श्रद्धा चढ़ती है। लेकिन, नेता लोग अवसर पाते ही अकूत संपत्तियों के मालिक हो जाते हैं।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने भी कांग्रेस नेता के ट्वीट पर घोर आपत्ति जताई है। परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि पृथ्वीराज चव्हाण को दूसरे धर्म की संपत्तियां भी देखनी चाहिए। परिषद के महामंत्री और जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि ने कहा कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री को ईश्वर सद्बुद्धि दे। उन्हें संविधान का ज्ञान नहीं है। उन्हें केवल हिंदू धर्म के मठ मंदिर ही नजर आ रहे हैं, बाकी धर्मों की संपत्तियां भी उन्हें देखनी चाहिए।
मीरजापुर स्थित विंध्यधाम के तीर्थ पुरोहितों ने भी पृथ्वीराज चव्हाण के ट्वीट पर नाराजगी जतायी है। विंध्यधाम के तीर्थ पुरोहित और नगर क्षेत्र से विधायक रत्नाकर मिश्र ने रविवार को कहा कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री का बयान दुर्भाग्य पूर्ण है। हिंदू मंदिरों में ही नहीं बल्कि अन्य धार्मिक स्थलों पर भी अरबों रूपये की सम्पत्ति है। उसे पहले सरकार ले, इसके बाद हिंदू मंदिरों के सोने की तरफ देखे। विंध्य पण्डा समाज के अध्यक्ष पंकज द्विवेदी ने कहाकि हिंदू मंदिरों से सोना लिए जाने की बात कहकर पृथ्वीराज चव्हाण ने घटिया बयान दिया है। उन्हें पहले देशहित में अपनी सम्पत्ति देनी चाहिए। पण्डा समाज के पूर्व अध्यक्ष राजन पाठक ने कहा कि धार्मिक स्थलों की सम्पत्ति किसी नेता ने दान में नहीं दिया है, बल्कि यह देश के आस्थावान भक्तों की सम्पत्ति है। इस पर फैसला करने का अंतिम अधिकार पुरोहितों और देश की आस्थावान भक्तों व जनता को है।
गौरतलब है कि पृथ्वीराज चव्हाण ने तीन दिन पहले अपने ट्वीट में एक वीडियो संदेश के जरिए बयान दिया था कि कोरोना वायरस से उत्पन्न हुए संकट के चलते देश में जो आर्थिक संकट पैदा हुआ है उससे निकलने के लिए सरकार को देश के सभी मठ मंदिरों में रखे सोने का तुरंत इस्तेमाल करना चाहिए। हालांकि, विवाद बढ़ते ही उन्होंने इस पर अपनी सफाई भी पेश कर दी है। उन्होंने कहा है कि उनकी बात को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है।

 


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