जंगली आग और समुद्र में तेल रिसाव से नष्ट हो रही है जैव विविधता

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लुप्त हो रहे हैं वन्य जीव-जंतु और समुद्री जल जीव प्रजातियां संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम को 800 अरब डालर की दरकार



संयुक्त राष्ट्र, (न्यू यॉर्क) 01 अक्टूबर (हि.स.)। विश्व में बड़े स्तर पर जंगली आग और प्रदूषण से जैव विविधता तेज़ी से नष्ट होती जा रही है। प्रदूषण और तापमान के निरंतर बढ़ने से समुद्री जल जीव मर रहे हैं। वन्य जीव जंतु एवं पशु पक्षियों की प्रजातियां नष्ट हो रही हैं। समुद्री जल जीवों में डॉल्फ़िन और व्हेल्स सहित अन्यान्य जीव लुप्त हो रहे हैं।

‘नेशनल ज्योग्राफ़िक’ पत्रिका के ताज़ा अंक के अनुसार समुद्री जलजीवों की असमय मृत्यु का मुख्य कारण जंगली आग के साथ साथ समुद्र में लाखों टन तेल का रिसाव होना है। इससे समुद्री जीवों, ख़ासकर डॉल्फ़िन को सांस लेने में कठिनाई हो रही है। दम घुटने से उनकी मौतें हो रही हैं।

संयुक्त राष्ट्र की 75 वीं वर्षगाँठ के अवसर पर बुधवार को सम्पन्न हुए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम में वैज्ञानिकों, राष्ट्र नेताओं और नौकरशाहों ने जैव विविधता के संरक्षण के लिए 800 अरब डालर के फ़ंड की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। इस विकास कार्यक्रम के प्रमुख अचिम स्टीनर ने इस अवसर पर कहा कि जैव विविधता के लिए प्रतिवर्ष क़रीब एक सौ अरब डालर व्यय किया जा रहा है, जो वैश्विक स्तर पर कुत्तों के खाद्य पदार्थ की तुलना में भी कम है।

‘एटलांटिक पत्रिका’ की मानें तो स्टेटलाइट से हाल में ली गई तस्वीरों में अंटार्कटिका के दो ग्लेशियर बड़ी तेज़ी से क्षीण होते जा रहे हैं। नीदरलैण्ड के वैज्ञानिक स्टेफ़ लहेरमित्ते इन ग्लेसियरों में पाईन द्वीप और थवैटेस के तेज़ी से क्षीण होने से ख़ासा हताश और निराश हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है, जैसे भारी यातायात में धीमी गति से चल रहे वाहन का दम घुट रहा हो। इस से समुद्र जल स्तर बढ़ रहा है।

 


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