ग्वालपाड़ा (असम), 12 नवम्बर (हि.स)। असम वन विभाग ने ग्वालापाड़ा में आतंक का पर्याय बने हाथी ‘लादेन’ को पुनः वनांचल में नहीं छोड़ने का निर्णय किया है। उसे प्रशिक्षित कर पालतू बनाया जाएगा। साथ ही उसका नया नामकरण ‘कृष्णा’ हुआ है। यह जानकारी असम वन विभाग ने मंगलवार को दी।
वन विभाग ने इस हाथी को लामडिंग के वनांचल में छोड़ने का फैसला किया था। स्थानीय लोगों ने सोमवार रात इसका कड़ा विरोध किया। इसके बाद वन विभाग को निर्णय बदलना पड़ा। पूर्णिमा के दिन हाथी को काबू में किए जाने की वजह से उसका नया नाम ‘कृष्णा’ रखा गया है।
बताया गया है कि रामू, बहादुर और बाबू कुनकी नाम के तीन पालतू हाथी उसको प्रशिक्षण देगें। इस प्रशिक्षण का दायित्व प्रशिक्षक फान्दी दिंबेश्वर दास निभाएंगे। भारत में यह पहला मामला होगा कि लगभग 40 वर्ष के एक जंगली हाथी को पालतू हाथी बनाए जाने की व्यवस्था हो रही है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के निर्देश के बाद विधायक पद्म हजारिका के नेतृत्व में पांच हाथियों की मदद से वन विभाग की एक टीम ने सोमवार को उसे ट्रेंकुलाइज किया था। पिछले कई वर्षों में ग्वालपाड़ा जिले में इस जंगली हाथी के हमले में कुल 37 लोगों की जान जा चुकी है। हाथी के हमले में हाल ही में पांच लोग मारे गए थे।