सुलतानपुर लोधी (पंजाब), 03 नवम्बर ( हि.स.)। बाबा नानक की नगरी सुलतानपुर लोधी से पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहिब जाने के लिए नानक नाम लेवा संगतों के डेरे लगने यहां शुरू हो गए है। सिख धर्म का मूल मंत्र ‘एक ओंकार सत नाम ‘ सुलतानपुर लोधी से ही अस्तित्व में आया था। सुलतानपुर लोधी से ही सिख संगत पाकिस्तान में स्थित गुरुनानक देव जी की कर्म नगरी करतारपुर साहिब के लिए रवाना होगी। यहां पहुंचने वाली देश-विदेश की संगत के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं। 9 नवम्बर को करतारपुर गलियारा औपचारिक रूप से खुलेगा। सालभर गुरुनानक देव जी के प्रकाश पूर्व पर कार्यक्रम होने हैं।
पुरातन नगरी सुलतानपुर लोधी वैसे तो अपने में विशाल इतिहास संजोये है पर सिख धर्म की बुनियाद का सौभाग्य इसी धरती को है। गुरुद्वारा बेर साहिब, गुरुद्वारा बेबे नानकी जी, हट्ट साहिब, गुरु का बाग, संत घाट समेत अन्य गुरुद्वारे यहां हैं। ऐतहासिक काली बेई नदी का श्री गुरुनानक देव जी से सीधा सम्बन्ध है। संगत काली बेई के जल को ग्रहण कर खुद को धन्य कर रही है।
सुलतानपुर लोधी में श्री गुरुनानक देव जी की बड़ी बहन बेबे नानकी की शादी हुई थी। बहन के पास नानक को कार्य करने के लिए भेजा गया था। यहां उन्हें मोदीखाना में सिविल आपूर्ति के लिए नौकरी दी गई थी। जून 1488 में गुरुनानक देव जी का विवाह बीबी सुलक्खनी से हुआ। यहीं उनके दो बेटे श्रीचंद और लख्मी चंद हुए। 14 वर्ष यहां गुजारने के बाद नानक काली बेई नदी में अदृश्य हो गए थे और तीन दिन बाद नदी से बाहर आए और सिख धर्म के मूल मंत्र एक ओंकार सत नाम को विश्व को दिया । यहीं से सिख धर्म का उद्गम हुआ। गुरुद्वारा हटट साहिब में आज भी वो पत्थर के बट्टे रखे हुए हैं, जिनसे गुरुनानक देव जी मोदीखाना में सामान तौला करते थे। सुलतानपुर लोधी से ही नानक ने अपनी यात्राएं शुरू कीं, जिन्हे उदासियों के नाम से जाना जाता है।
सुलतानपुर लोधी में संगत के लिए टेंट सिटी का निर्माण किया गया है। लोक निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियन्ता एसएस बराड़ ने बताया है कि 250 एकड़ से ज्यादा क्षेत्रफल में टेंट सिटी विकसित की गई है। यह डबल बेड, 15 बिस्तरों और 60 बिस्तरों वाले टेंट उपलब्ध है। इस सिटी में 35000 से अधिक श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था है। आलीशान होटलों जैसे इंतजाम हैं।