सियासत के बीच ‘हॉट स्पॉट’ बने कोटा से बरौनी पहुंची बिहार की पहली छात्र स्पेशल ट्रेन
बेगूसराय, 04 मई (हि.स.)। राजनितिक उठापटक के बाद आखिर कोटा में पढ़ रहे बेगूसराय समेत बिहार के अन्य जिलों के बच्चों की घर वापसी शुरू हो गई। कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों ने सोमवार को राहत की सांस ली है। लेकिन इसके साथ ही इस हॉट मामले ने राजनीति को भी कुछ हद तक हॉट कर दिया। कोरोना के कारण लॉकडाउन लागू होने के बाद, कोटा में मेस बंद होने तथा बच्चों के पैसे खत्म हो जाने के बीच कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या के साथ बच्चों में घर वापसी की सुगबुगाहट शुरू हुई। विपक्षी दलों के बढ़ते दबाव, एक अभिभावक के पटना हाईकोर्ट पहुंचने के बीच कोटा में बिहारी छात्रों ने गांधीवादी तरीके से अनशन शुरू कर दिया तो इस मामले में सरकार की चुनौती बढ़ गई। करीब सभी राजनीतिक दलों ने कोटा के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकनी शुरू कर दी। कुछ लोग अपने प्रभाव के बल पर अपने वाहन से बच्चों को ले आए। इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने कोटा से बच्चों को बसों से लाने की घोषणा कर दी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संबंधित प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से बच्चों को ले जाने का आग्रह किया। लेकिन बिहार सरकार ने नहीं माना। इसके कारण एनडीए के कुछ नेताओं में नाराजगी हो गई।पूर्व सांसद पप्पू यादव, तेजस्वी यादव, प्रशांत किशोर एवं उपेंद्र कुशवाहा ने लगातार हमला जारी रखा। पड़ोसी राज्य झारखंड के मुख्यमंत्री ने कोटा से अपने लिए ट्रेन खुलवा दी। बिहार के सत्ताधारी सांसदों पर भी दबाव बढ़ने लगा। इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में कोटा में फंसे इन बच्चों का मुद्दा उठाया। प्रधानमंत्री के निर्देश पर गृह मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों में फंसे बिहार के छात्र-छात्राओं और मजदूरों को कोरोना वायरस के प्रोटोकॉल के तहत ले जाने की अनुमति दे दी । इसमें बेगूसराय के सांसद और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बाजी मार ली। सभी लोगों के प्रयास पर कोटा से बच्चों को लेकर बिहार के लिए सबसे पहली ट्रेन बरौनी (बेगूसराय) जंक्शन के लिए ही खुली। दूसरी ट्रेन कोटा से गया के लिए चली। इसके बाद भी जब कोटा में बिहार के बहुत अधिक बच्चों के रहने की जानकारी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को मिली तो उन्होंने रेलमंत्री से पहल कर बरौनी के लिए एक और ट्रेन चलवा कर बच्चों को राहत दे दी है। फिलहाल सारी कवायद के बीच बेगूसराय समेत खगड़िया, लखीसराय, शेखपुरा, जमुई, मुंगेर, भागलपुर एवं बांका के छात्र-छात्राओं को लेकर ट्रेन सोमवार की सुबह बरौनी जंक्शन पहुंच गई। यहां कड़े प्रशासनिक बंदोबस्त के बीच बेगूसराय के सभी बच्चों की प्रखंड स्तर जांच पड़ताल कर 14 दिन के होम क्वारेन्टाइन में भेज दिया गया है। अगले चौदह दिनों तक लगातार उनकी स्वास्थ्य निगरानी की जाएगी। इधर बरौनी आए अन्य जिलों के बच्चों को संबंधित जिले के लिए भेज दिया गया है। सोमवार को अहले सुबह बरौनी जंक्शन पहुंचे मौसम, चांदनी, रश्मि, मुकेश, अमित समेत अन्य छात्र-छात्राओं का कहना है कि बिहार सरकार का इरादा हम बच्चों को वापस लाने का नहीं था। सरकार हमेशा कहती रही कि वहां संपन्न परिवार के बच्चे पढ़ने जाते हैं, इसलिए वहां कुछ नहीं दिक्कत होगी। लेकिन मेस बंद हो जाने, कोरोना संक्रमित मरीज बढ़ने के कारण पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था। तनाव के कारण नींद नहीं आने से डिप्रेशन के शिकार होने लगे। 15 साल से नीतीश कुमार की सरकार ने कुछ नहीं किया। बच्चे पढ़ने के लिए बाहर जाते हैं, मरीज इलाज के लिए दूसरे प्रदेश पर निर्भर करते हैं और मजदूर रोजगार के लिए बाहर जाते हैं। बच्चों का कहना है कि वहां काफी परेशानी हो रही थी। सरकार ने कुछ नहीं किया, सिर्फ कहानी कहती रही। दो महीने से पढ़ाई ठप, कोचिंग वाले भी मनमानी कर रहे थे। रास्ते में कोई व्यवस्था नहीं, दो-दो किलोमीटर समान लेकर पैदल चलना पड़ा। रास्ते में खाना -पानी की कोई व्यवस्था नहीं। यहां बरौनी उतरे तो प्रशासन ने नाश्ता-पानी दिया । इधर, अभिभावकों ने बच्चों को अपने पास देखकर राहत की सांस ली है। हालांकि, उनके चेहरे पर खुशी के साथ चिंता भी थी कि परीक्षा की तैयारी कैसे हो सकेगी।