नई दिल्ली, 14 दिसम्बर (हि.स.)। कोलकाता में सोमवार को पहले स्टील्थ फ्रिगेट ‘हिमगिरि’ को लांच किया गया। इसका निर्माण गार्डनरीच शिपबिल्डर्स (जीआरएसई) ने नौसेना के लिए प्रोजेक्ट पी-17ए के तहत किया है। मझगांव डॉक और जीआरएसई में कुल सात स्टील्थ फ्रिगेट बनाए जा रहे हैं। इनका नामकरण भारत की पहाड़ी श्रृंखलाओं के नाम पर किया गया है जिसमें नीलगिरि, हिमगिरि, तारगिरी, उद्योगगिरि, दुनागिरि, विंध्यगिरि और महेंद्रगिरी हैं।
भारत की कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने परियोजना 17ए डिजाइन-कम-निर्माण कार्यक्रम को शुरू करने के रक्षा मंत्रालय के प्रस्ताव को सितम्बर, 2012 में मंजूरी दी थी। फरवरी 2015 में दोनों शिपयार्ड के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने 11 मार्च, 2016 को परियोजना के लिए 13 हजार करोड़ के हथियार और सेंसर पैकेज को मंजूरी दी। 17 फरवरी, 2017 को स्टील कटिंग समारोह आयोजित किया गया था, जिसने निर्माण शुरू होने को चिह्नित किया था। सितम्बर 2018 में एमडीएल और जीआरएसई ने भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को सात बराक-8 वायु रक्षा प्रणालियों की आपूर्ति के लिए अनुबंध किया। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने बराक-8 की आपूर्ति करने के लिए इज़राइल एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज के साथ समझौता किया।
भारतीय नौसेना के लिए चार फ्रिगेट का निर्माण मुंबई में मझगांव डॉक लिमिटेड और तीन का निर्माण कोलकाता में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स द्वारा किया जा रहा है। पहले स्टील्थ फ्रिगेट ’नीलगिरि’ का निर्माण 2017 में शुरू हुआ और 28 सितम्बर, 2019 को लांच किया गया था। नीलगिरि श्रेणी के तीन और स्टील्थ फ्रिगेट मझगांव डॉक में बनाये जा रहे हैं। इसी तरह प्रोजेक्ट पी-17ए के तहत 3 ‘हिमगिरि’ स्टील्थ फ्रिगेट का निर्माण जीआरएसई कर रहा है। इसका पहला स्टील्थ फ्रिगेट आज लांच किया गया है। सभी सात स्टील्थ फ्रिगेट के अगस्त, 2022 तक नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है।
प्रत्येक स्टील्थ फ्रिगेट की अनुमानित लागत 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है और कुल सौदा 45 हजार करोड़ से अधिक होने की उम्मीद है। शिवालिक श्रेणी के फ्रिगेट्स (प्रोजेक्ट-17) को डिजाइन करने में प्राप्त अनुभव के आधार पर प्रोजेक्ट 17ए लागू किया गया। इस प्रोजेक्ट के तहत ‘हिमगिरि’ स्टील्थ फ्रिगेट में मूरिंग डेक लगाया गया है और एंटीना की संख्या कम करके एईएसए रडार का उपयोग किया गया है। फ्रिगेट्स को बराक 8 (एलआर-एसएएम), ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, अजंता इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और हमसा-एनजी सोनार से लैस किया गया है। इसमें चालक दल के 35 अधिकारियों सहित मौजूदा 257 सवारों की संख्या घटाकर लगभग 150 कर दी गई है, जिससे परिचालन लागत लगभग 20 प्रतिशत कम हो जाएगी।