पाकिस्तान में पहला मदरसा ट्रांसजेंडर के लिए खोला गया
इस्लामाबाद, 22 मार्च (हि.स.)। पाकिस्तान में ट्रांसजेंडर के लिए पहला मदरसा (स्कूल) खोला गया है। यहां इनके साथ भेदभाव नहीं किया जाता है। इन्हें मस्जिदों में नमाज पढ़ने की अनुमति भी दी जाती है।
पाकिस्तान में ट्रांसजेंडर्स के लिए खोले गए मदरसे में रानी खान छात्रों को कुरान का पाठ पढ़ाती हैं। इससे मिलने वाले वेतन से वे अपनी रोजी-रोटी चलाती हैं।
रानी बताती हैं कि अक्सर ट्रांसजेंडर लोगों के साथ भेदभाव किया जाता है और समाज में इन्हें स्वीकार किया जाता। उन्हें अपने घरों से बाहर निकाल देते हैं। इतना बताते ही रानी की आंखें नम हो जाती हैं। वह बताती हैं कि जब वह 13 साल की थी, उन्हें घर से निकाल दिया गया था। उन्हें भीख मांगनी पड़ती थी।
17 साल की आयु में वह अपने समान लोगों के एक समूह में शामिल हुई जो घरों और शादियों में जाकर गाना-बजाना करते थे। खान अपने घर पर कुरान पढ़ती थी और मदरसा खोलने से पहले धार्मिक स्कूलों में जाती थी। उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से कोई मदद नहीं दी गई लेकिन कुछ अधिकारियों ने वादा किया कि वह वहां के छात्रों को नौकरी ढूढ़ने में मदद करेंगे। खान अपने छात्रों को कढ़ाई करना भी सिखाती हैं।
इस्लामाबाद के डिप्टी कमिश्नर हमजा शफकात ने बताया कि यह मदरसा ट्रांसजेंडर लोगों को मुख्यधारा में लाने में सहायक होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगर अन्य शहर भी इस पहल को अपनाते हैं तो बड़ा बदलाव आएगा।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में साल 2018 में ट्रांसजेंडर को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी गई थी। साथ ही इन्हें मौलिक अधिकार जैसे वोट डालने का अधिकार और आधिकारिक दस्तावेजों में इन्हें तीसरे लिंग का विकल्प चुनने का अधिकार दिया गया।