नई दिल्ली, 18 अगस्त (हि.स.) । देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में अग्निकाकांड को लेकर एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। एम्स के जिस इमारत में आग लगी थी, उसकी एनओसी रिन्यू नहीं हुई थी। हालांकि फायर विभाग के प्रमुख विपिन केंटल ने इस पर साफ तौर पर कोई बयान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है। जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि एनओसी रिन्यू हुई थी या नहीं।
दिल्ली दमकल विभाग के सूत्रों की मानें तो नियम के अनुसार हर तीन वर्ष में फायर का एनओसी लेना अनिवार्य होता है। एक बार एनओसी मिलने के बाद संबंधित इमारत से जुड़े विभाग को निर्धारित अवधि में रिन्यू कराना होता है। इसके लिए विभागीय स्तर पर रिपोर्ट दी जाती है, जिसका फायर विभाग निरीक्षण करता है। हालांकि इस मामले में अभी तक कोई स्पष्ट बयान न तो दमकल विभाग की तरफ से दिया जा रहा है और न ही एम्स प्रशासन ने ही कोई बयान दिया है। लापरवाही के कारणों के अलावा एनओसी को लेकर भी जांच शुरू कर दी गई है।
दरअसल एम्स में कुछ ब्लॉक में नौ मंजिली इमारतें हैं जिसकी एनओसी रिन्यू हुई है, लेकिन पांच मंजिली इमारतों में से कुछ के बारे में यह जानकारी मिल रही है कि इनकी एनओसी रिन्यू नहीं हुई थी। उधर आग की इस घटना को लेकर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। पुलिस ने हौजखास थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 336, 436, 285 के तहत केस दर्ज किया है।
दिल्ली पुलिस जांच कर यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि आग लगने के पीछे आखिरकार किसकी लापरवाही है ? इसके लिए दमकल विभाग सहित फॉरेंसिक टीम को जांच कर रिपोर्ट जल्द सौंपने को कहा है।