पटना, 28 अप्रैल (हि.स.) । कोरोना महामारी के बीच कोटा में फंसे बिहारी छात्रों के खिलाफ स्थानीय पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर लिया है। ऐसे में घर-परिवार से दूर इन बिहारी छात्रों को अब दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने को लेकर नीतीश सरकार की काफी फजीहत हो रही है। सीएम नीतीश को तीखी आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, कोटा में फंसे स्टूडेंट के अविभावकों ने न्यायालय का दरवाजा तक खटखटाया है जिसपर अगली सुनवाई अब 5 मई को होगी। बता दें कि एक तरफ जहां दूसरे राज्यों के बच्चे अपने घर वापस लौट चुके हैं वहीं बिहारी छात्रों की घर वापसी का रास्ता अब तक तय नहीं हो पाया है। कोटा शहर के सब इंस्पेक्टर मोहन लाला ने बताया कि बच्चों के ऊपर प्राथमिकी दर्ज की गई है। विरोध प्रदर्शन कर लॉकडाउन के नियमों को तोड़ने को लेकर इन छात्रों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। बच्चों ने प्रदर्शन में रखा ख़ास ख्याल जब बिहार सरकार ने कोटा में फंसे अपने ही राज्य के बच्चों को वापस लाने से मना कर दिया, जिसके बाद बीती रात कोटा की सड़कों पर बिहार के बच्चे रात भर बैठ नजर आये थे। रविवार की देर शाम से ही कोटा के कई इलाकों में बिहार के बच्चे सड़कों पर बैठ गए थे। उन्होंने सड़क पर बैठकर अपने दर्द का इजहार किया। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी किया और लगातार यह मांग करते रहे कि बिहार सरकार उन्हें घर वापस बुलाने का फैसला करे। कोटा में फंसे बिहारी बच्चों का कहना है कि अगर दूसरे राज्यों की तरह बिहार सरकार उनकी सुध नहीं लेती है तो अब उनके पास आखिरी विकल्प अपना जीवन छोड़ने का होगा।ये बिहारी बच्चे अब डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। आपको बता दें कि सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की थी उस दौरान भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोटा में फंसे बच्चों को लेकर गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दी थी। बिहार सरकार कई बार यह स्पष्ट कर चुकी है कि वह लाक डाउन पीरियड में बाहर से लोगों को राज्य में नहीं आने देना चाहती है।